जामताड़ा। मां, दादी-दादाजी, मत रोओ, पिताजी मरे नहीं शहीद हुए हैं। ताबूत में लिपटे अपने पिता के शव को देखकर छह साल की आरना ने जब यह बातें कहीं तो वहां खड़े सभी लोगों के आंखों से आंसू बह निकले। यह वाकया था जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए जामताड़ा के कमांडेंट प्रमोद मिस्त्री की अंतिम यात्रा का।
जम्मू-कश्मीर से उनका शव जामताड़ा लाया गया। जामताड़ा पुलिस के वाहन पर शहीद के ताबूत को उनके घर ले जाया गया। राष्ट्रीय झंडे में लिपटे उनके शव को देखते ही वहां मातमी सन्नाटा पसर गया। शहीद की पत्नी नेहा का रो-रोकर बुरा हाल था।
बाद में चितरंजन स्थित शवदाहगृह में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। हजारों लोगों ने नम आंखों से शहीद प्रमोद को अंतिम विदाई दी। उनकी पुत्री आरना ने मुखाग्नि दी। इससे पहले शहीद कमांडेंट को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
गौरतलब है कि सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद मिस्त्री स्वतंत्रता दिवस के दिन श्रीनगर के नेहट्टी में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। शहीद होने के पहले उन्होंने मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया था।
उनपर 11 दिन पहले भी पेट्रोल बम से हमला हुआ था हालांकि इस हमले में वे बच निकले थे। हमले से करीब एक घंटा पहले उन्होंने स्वतंत्रता दिवस परेड की सलामी भी ली थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारी जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई हैं।