नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहर विश्वविद्यालय जेएनयू के एक असिस्टेंड प्रोफेसर को विदेशी की ओर की ओर से दायर कथित यौन उत्पीडन मामले में यूनिवर्सिटी की जांच कमेटी द्वारा दोषी पाए जाने के बाद उनकी सेवा समाप्त कर दी। पीडित छात्रा प्रोफेसर के निर्देशन में रिसर्च कर रही थी।
जेएनयू की कार्यकारी परिषद की आपात बैठक में यह फैसला किया गया। पीडित छात्रा बांग्लादेश की नागरिक है तथा समाजशास्त्र विभाग में उक्त प्रोफेसर की निगरानी में शोधकार्य कर रही थी।
छात्रा ने आरोप लगाया था कि प्रोफेसर ने उसका कथित तौर पर यौन उत्पीडन किया। इस शिकायत पर ऐसे मामलों को देखने वाली यनिवर्सिटी की निगरानी ईकाई यौन उत्पीडन के खिलाफ लिंग संवेदीकरण कमेटी जीएसकैश ने जांच शुरू की।
जांच कमेटी ने प्रोफेसर को दोषी पाया और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुषंशा की गई। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अंतिम फैसले के लिए कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई गई। परिषद ने तत्काल प्रभाव से उनकी सेवा खत्म करने का फैसला दिया।
जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा ने कहा कि प्रोफेसर पर कार्रवाई तो ठीक है, लेकिन सवाल यह है कि जेएनयू के शिक्षक ऐसे व्यक्ति को बचाने में क्यों लगे हैं। उसके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं कराई गई। क्यों नहीं उसे पुलिस के सौंपा गया?