नई दिल्ली। जेएनयू में विवादास्पद विरोध प्रदर्शन के बाद वहां दौरा करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रदर्शन के बाद उनका परिसर में जाना उस आंदोलन को गरिमा प्रदान करने की तरह है जिसका उद्देश्य भारत का विभाजन करना है।
उन्होंने कहा कि कांगे्रस एवं वाम दल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस मु्द्दे पर बिना कोई विचार किए इसमें शामिल हो गए। जेएनयू परिसर में पुलिस के प्रवेश को न्यायोचित ठहराते हुए जेटली ने कहा कि यह परिसर भी भारतीय भूभाग का ही क्षेत्र है और भारत के कानून वहां भी लागू होते हैं।
उन्होंने इस संर्दा में परिसर में नौ फरवरी से पहले वितरित किए गए देश विरोधी प्रचार सामग्री वाले पर्चो के सार को भी पढ़कर सुनाया।
जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय के विशेष संर्दा में केन्द्रीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों में उत्पन्न स्थिति पर चल रही चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए सदन के नेता जेटली ने कहा कि मुख्य सवाल यह है कि क्या हम उन लोगों को सम्मान देने जा रहे हैं जिनकी सोच देश तोडऩे की है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मुख्यधारा की पार्टी होने के कारण ऐसे लोगों का साथ देने का इतिहास नहीं है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या इस बार मुख्य विपक्षी दल पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों को सन्निकट देखकर जेएनयू में अति वामपंथी रुझान वाले विरोध प्रदर्शन को समर्थन दे रहे है जहां ऐसा प्रतीत होता है कि उनके और वामपंथी दलों के बीच कोई समझौते का रास्ता खोजा जा रहा है।
जेटली ने कहा कि बंगाल की त्रासदी है कि वहां तीन कांग्रेस पार्टियां हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस माक्र्सवादी। उनकी इस टिप्पणी पर तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन ने कड़ी प्रतिक्रिया का इजहार किया।
राहुल गांधी के जेएनयू परिसर के दौरे की ओर इशारा करते हुए जेटली ने कहा कि कुछ लोग करने से पहले सोचते हैं लेकिन यह ऐसा मौका था जब कांग्रेस ने पहले कदम उठा लिया और बाद में उस पर सोचना शुरू किया।
उन्होंने कहा कि क्या आपने जेएनयू का दौरा करने के बारे में पहले सोचा था। अगर ऐसा हुआ होता तो आप इस स्थिति में नहीं जाते। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह ऐसे आंदोलन को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से समान दिलाने की कोशिश कर रही है जिसकी सोच देश को तोडऩा है।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ समझौता करने के लिए विपक्षी दलों द्वारा भाजपा की आलोचना को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही यह अहसास किया है कि उन्हें अलगाववादियों से जूझने के लिए प्रदेश की मुख्यधारा की पार्टियों के साथ जुडऩा होगा। उन्होंने कहा कि इन दोनों ही दलों ने पहले नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी से गठजोड़ किया है।
उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि पश्चिम बंगाल के चुनाव करीब हैं, इसलिए कांग्रेस यह रुख अपनाया कि पुलिस को जेएनयू परिसर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जेएनयू की घटना काफी गंभीर है जहां एक ओर माओवादी हैं, दूसरी ओर जिहादी हैं और ऐसे में आपको जेएनयू का दौरा करने से पहले सोचना चाहिए था। इस मसले पर कांग्रेस से स्पष्ट रवैया अपनाने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि ये वे मुद्दे हैं जिनपर सभी पार्टियों को एक सुर में बोलना चाहिए।
देश विरोधी नारों और अदालत द्वारा दंडित किए गए आतंकियों के समर्थन में लगाए गए नारों का हवाला देते हुए उन्होंने जानना चाहा कि क्या उन्माद करने वाले भाषणों को अािव्यक्ति की स्वतंत्रता बोला जाना चाहिए।
जेटली ने पटियाला हाउस की घटना की भत्र्सना करते हुए सदन को जेएनयू और जाधवपुर विश्वविद्यालय के भारत विरोधी प्रकृति वाले विरोध प्रदर्शन की भी याद दिलाई। जेटली ने संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर के भाषण का भी उदाहरण दिया और कहा कि उन्होंने देश को अंदरूनी ताकतों से होने वाले खतरों के बारे में आगाह किया था।
जेएनयू परिसर में लगाए गए नारों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि क्या पुलिस को घटना के प्रति मूकदर्शक बने रहना चाहिए था। देशद्रोह के आरोप के संदर्भ में जेटली ने जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल के दौरान उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया जब एक कम्युनिस्ट नेता को कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भाषण देने का दोषी पाया गया था।
इससे पूर्व कांग्रेस सहित कई दलों ने सरकार की यह कहते हुए आलोचना की कि उसने किसी और के द्वारा किए गए अपराध के लिए किसी और को दंडित किया है। अपने भाषण में जेटली ने कहा कि विश्वविद्यालयों में विचारों का निर्बाध प्रवाह भारत में सुरक्षित है और उन्होंने कहा कि भाजपा का यह मानना नहीं है कि केवल एक ही विचार कायम रहे।