जोधपुर। बहुचर्चित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती घोटाले में कुछ और बड़ी हस्तियों की गिरफ्तारी संभव है। एसीबी ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।
इस प्रकरण में एसीबी ने शुक्रवार को पूर्व विधायक जुगल काबरा, पूर्व कुलपति भंवरसिंह राजपुरोहित, सिंडिकेट के सदस्य रहे प्रोफेसर डूंगरसिंह खींची, लॉ-डिपार्टमेंट के पूर्व डीन श्यामसुंदर आसोपा और स्थापना शाखा के क्लर्क केशवन एम्ब्रन को गिरफ्तार किया था। उन्हें शनिवार को अदालत में पेश कर रिमांड पर मांगा है। इस कार्रवाई के लिए एसीबी के आईजी वीके सिंह स्वयं जोधपुर आए हुए है।
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में 2012-13 के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर के 111 पदों पर हुई भर्तियों के घोटाले में एसीबी ने अब तेजी लानी शुरू कर दी है। पूर्व कुलपति बीएस राजपुरोहित पूर्व विधायक जुगल काबरा समेत 5 जनों की गिरफ्तारी के बाद अब कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी तय मानी जा रही है।
हालांकि एसीबी ने इन पांचों के अलावा पीआरओ रामनिवास ग्वाला और प्रोफेसर शिशुपाल भादू को भी पकड़ा था लेकिन पूछताछ के बाद उन्हें कल देर रात छोड़ दिया गया। भर्ती घोटाले में 30 जनों पर सवालिया निशान लगे थे।
एफआईआर में बताया गया कि 14 योग्य आवेदकों के आवेदन निरस्त कर 7 अयोग्य जनों को नियुक्तियां दी गई है। अब सरकार इन की नियुक्तियां रद्द करेगी। एसीबी भी लाभार्थियों के रूप में इन्हें आरोपी बना गिरफ्तार कर सकेगी।
गिरफ्तार सभी आरोपियों को शनिवार को पुलिस सुरक्षा में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। पांचों आरोपियों को बस द्वारा मजिस्ट्रेट के निवास स्थान ले जाया गया। एसीबी की टीम ने पांचों आरोपियों के चालान जज के सामने पेश किए। फिलहाल सभी से पूछताछ की जा रही है।
जानकारी के अनुसार तत्कालीन सिंडीकेट सदस्य जुगल काबरा, विवि के तत्कालीन कुलपति डॉ बीएस राजपुरोहित, विवि के प्रोफेसर व सिण्डीकेट के पूर्व सदस्य डूंगरसिंह खींची, विधि संकाय के पूर्व डीन व प्रोफेसर एसएस शर्मा तथा विवि के लिपिक (यूडीसी) केशवन अब्राहिम को सुबह बस से मजिस्ट्रेट राम सुरेश प्रसाद के घर लाया गया।
यहां एसीबी के आईजी वीके सिंह, एसपी अजयपाल लाम्बा, चार एएसपी और पुलिस की टीम मौजूद थी। मजिस्ट्रेट के सामने सबसे पहले पूर्व कुलपति बीएस राजपुरोहित को पेश किया गया। इसके बाद बाकी सबको पेश किया गया।
इसके बाद सभी आरोपियों को बाहर लाया गया। यह है मामला गत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान जेएनवीयू में शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था। इसमें कई कांग्रेसी नेताओं के चहेतों और रिश्तेदारों को नियम विरूद्ध नियुक्तियां प्रदान की गई थी जिसको लेकर कई बार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और घोटाले के संबंध में पुलिस में मुकदमे दर्ज हुए।
विधानसभा में मामले की गूंज के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एसीबी को जांच करने के आदेश दिए थे। एसीबी पिछले लंबे समय से इस मामले में जांच कर रही थी।