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जोधपुर की कोट ने 18 साल की युवती का बाल विवाह तोड़ा - Sabguru News
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जोधपुर की कोट ने 18 साल की युवती का बाल विवाह तोड़ा

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जोधपुर की कोट ने 18 साल की युवती का बाल विवाह तोड़ा
Jodhpur court annuls child marriage
Jodhpur court annuls child marriage
Jodhpur court annuls child marriage

जोधपुर। राजस्थान की एक अदालत ने सोमवार को 18 वर्षीया एक युवती की वर्ष 2010 में 12 वर्ष की उम्र में हुई शादी को रद्द कर दिया। यह फैसला जोधपुर के एक परिवार न्यायालय ने सुनाया। सुशीला (18) के लिए यह एक बड़ी जीत है।

उसने गौना (शादी के बाद दुल्हन की विदाई) से एक दिन पहले ही अपना घर छोड़ दिया। सुशीला उसके बाद एक आश्रय घर में रह रही थी और एक गैर लाभकारी संगठन सृष्टि ट्रस्ट के जरिए परिवार न्यालालय का दरवाजा खटखटाया।

सुशीला ने बयान में कहा कि कृति दीदी की मदद से मेरा बाल विवाह रद्द हुआ। अब मैं पुलिस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा कर सकती हूं।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के भंडियावास निवासी सुशीला की वर्ष 2010 में 12 साल की उम्र में जोधपुर जिले के बिलासपुर गांव के नरेश से शादी कर दी गई थी। उसके पिता ने पिछले साल से उसे स्कूल भेजना बंद कर, गौना की तैयारी शुरू कर दी थी।

इसके बाद सुशीला 27 अप्रेल 2016 की मध्यरात्रि को घर छोड़कर चली गई। इस दौरान सृष्टि ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक कृति भारती ने उसे बाड़मेर राजमार्ग पर देखा और बाड़मेर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने के बाद अपने साथ रख लिया। बाद में सुशीला को जोधपुर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। वह यहां के बालगृह में पिछले 15 माह से सुरक्षित तरीके से रह रही थी।

भारती की मदद से सुशीला ने सात वर्ष पहले हुए विवाह को रद्द करवाने के लिए परिवार न्यायालय में याचिका दाखिल की। भारती ने सुशीला के पति नरेश के दो फेसबुक खातों से बाल विवाह के समर्थन में सबूत जुटाए।

भारती ने कहा कि परिवार न्यायालय ने समाज के समक्ष बाल विवाह के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिया है। सुशीला अब दोबारा अपनी पढ़ाई से जुड़ पाएगी और उसके बेहतर पुनर्वास के प्रयास किए जाएंगे।

सारथी ट्रस्ट ने भारत में अब तक 33 बाल विवाह को रद्द करवाया है और कई बाल विवाहों को होने से रोका है। भारत में बाल विवाह कानून के विरुद्ध है, लेकिन कई जगहों पर खासकर राजस्थान में लोग अभी भी इस कुप्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं।