नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया (एनयूजे-आई ) और दिल्ली पत्रकार संघ (डीजेए) ने फरीदाबाद की पत्रकार पूजा तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर कैंडिल मार्च का आयोजन किया।
इस मार्च में दिल्ली और आसपास के सैकड़ों पत्रकारों ने हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में महिला पत्रकारों ने भी मार्च में अपनी हिस्सेदारी दर्ज कराई। सोमवार को शाम साढ़े सात बजे निकाले गए इस कैंडिल मार्च में शामिल पत्रकारों ने पूजा की संदिग्ध हालात में हुई मौत और उसकी जांच को लेकर हरियाणा पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए।
एनयूजे और डीजेए की तरफ से कहा गया है कि अगर दस दिन में इस मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी गई तो दिल्ली स्थित हरियाणा भवन पर प्रदर्शन किया जाएगा।
कैंडल मार्च के दौरान एनयूजे के कोषाध्यक्ष दधिबल यादव, डीजेए के उपाध्यक्ष अशोक किंकर, डीजेए के कार्यकारिणी सदस्य संजीव सिन्हा और नेत्रपाल शर्मा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी, दिल्ली विश्वविद्यालय में मीडिया की प्रोफेसर डॉ स्मिता मिश्र, वॉयस ऑफ फ्रीडम के संपादक सौरभ भारद्वाज, खेल टुडे के संपादक राकेश थपलियाल, अपनी दिल्ली के संपादक संजय गुप्ता और परोमा भट्टाचार्य आदि मौजूद थे।
कैंडल मार्च से पहले पत्रकारों ने पूजा तिवारी के साथ ही इंडियन एक्सप्रेस के छायाकार रवि कन्नौजिया की झांसी में करंट लगने से हुई मौत पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
एनयूजे के अध्यक्ष रासबिहारी ने कहा कि पूजा तिवारी मरी नहीं है, उसे मारा गया है। पूजा के खिलाफ फरीदाबाद पुलिस ने डॉक्टरों की शिकायत पर केस दर्ज करने में भी जल्दबाजी की। उसकी रहस्यमय मौत के बाद भी पुलिस ने सही तरीके से जांच नहीं की। फरीदाबाद पुलिस के रवैये से अब भी लग रहा है कि जांच सही तरीके से नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में हमने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। रासबिहारी ने कहा कि फरीदाबाद के मीडिया के एक वर्ग ने इस मामले में सही तरीके से रिपोर्टिंग नहीं की। उन्होंने बिना जांच किए और बिना मामले की तह तक गए तथ्य विहीन खबरें प्रकाशित की। ऐसे गैर-जिम्मेदार पत्रकारों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
साथ ही, उन्होंने कहा कि मामले की सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को हम ज्ञापन भी देंगे। उन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग करते हुए कहा कि अगर यह कानून होता तो पूजा के खिलाफ पुलिस इतनी आसानी से शिकायत दर्ज नहीं कर पाती।
हम लोग जिस जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं उसमें प्रावधान हो कि किसी भी पत्रकार के खिलाफ शिकायत होने पर डीसीपी स्तर का अधिकारी पहले जांच करें और शिकायत सही पाए जाने पर ही मामला दर्ज हो।
दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष अनिल पांडेय का भी कहना है कि फरीदाबाद पुलिस शुरुआत से ही जांच करने में ढिलाई बरत रही है। इसी कारण पूजा के दोस्त आरोपी इंसपेक्टर को चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने पूजा तिवारी के फोन और लेपटाप की भी जांच नहीं कराई। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार तुरंत सीबीआई को मामले की जांच सौंपे। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कारगुजारियों को उजागर करने वाली पूजा बहादुर लड़की थी। कन्या भ्रूण की जांच कर गर्भपात कराने वाले डाक्टरों के गिरोह ने उसे फंसाने की कोशिश की।
यह प्रवृत्ति देश भर में बढ़ती जा रही है। बड़े पैमाने पर पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की पोल खोलने वाले पत्रकारों को धमकिया मिल रही हैं। उनकी हत्याएं की जा रही हैं। पिछले चार महीनों में देशभर में 22 पत्रकारों पर हमले हुए हैं और आठ को जान से मारने की धमकी भी दी गई है। इन सबको देखते हुए सरकार को तुरंत पत्रकार सुरक्षा कानून बनाना चाहिए।
अनिल पांडेय ने कहा कि भारत दुनिया के उन दस देशों में शुमार हैं जहां पत्रकारों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हो रहा है और हत्याएं की जा रही हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने यहां पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया है, लेकिन भारत सरकार इस पर मौन है।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की महासचिव जगमती सांगवान ने कहा कि पूजा तिवारी ने हरियाणा में जारी कन्या भ्रूण हत्या के रैकेट का पर्दाफाश किया था। राजनीतिक दवाब में पुलिस ने पूजा के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज की। उन्होंने कहा कि पूजा की हत्या के साथ ही पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए।