सिरोही। आबूरोड एवं माउंट आबू के न्यायालयों के निरीक्षण दौरे पर आये राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी ने न्यायिक अधिकारियों को उनके न्यायालयों में विभिन्न लंबित दीवानी, फौजदारी, एम.ए.सी.टी. प्रकरणों को शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये हैं।….
उन्होंने कहा कि प्रकरण में चार्ज लगने और विवाद्यकों के कायम होने के बाद गवाहों को शीघ्र तलब कर प्रकरण का अतिशीघ्र निस्तारण करें। अंतिम बहस में विचाराधीन प्रकरणों को तीन माह में निस्तारित करने के निर्देश दिये गये।
उन्होंने एडीजे एवं एसीजेएम कैम्प कोर्ट, सिविल न्यायाधीश आबूरोड तथा माउंट आबू में अतिरिक्त सीजेएम न्यायालय के निरीक्षण दौरान यह निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि एमएसीटी के ऐसे प्रकरण जो अंतिम बहस में है और वर्ष 2011 से विचाराधीन हैं उन्हें एक माह में निस्तारित किया जाये।
ताकाजा, कुर्की वारंट एवं वसूली राशि वारंट के प्रकरण दो माह में निस्तारित करने को कहा। अनावश्यक रूप से प्रकरण में पेशी नहीं बदलने पर जोर देते हुए न्यायिक अधिकारियों एवं कार्मिकों को अपने उत्तदायित्व का निर्वहन संवेदनशीलता से करने के निर्देश दिये।
उन्होंने यह निर्देश भी दिये कि जिस दिन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाये उसी दिन या उसके दूसरे दिन संबंधित को उसकी नकल देने की व्यवस्था की जानी चाहिये।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिले
न्यायाधीश माहेश्वरी बार एसोशियशन के पदाधिकारियों से भी मिले। उन्होंने एसोसिएशन द्वारा जगह कम होने के क्रम में न्यायालय की स्थापना अन्य स्थान पर किये जाने और अधिवक्ताओं के लिये चैम्बर बनाने हेतु किये गये निवेदन पर विधि सम्मत कार्यवाही करने के लिए आश्वस्त किया। इस दौरान कार्यवाहक जिला एवं सैशन न्यायाधीश एवं अपर जिला सैशन न्यायाधीश गोपाल बिजोरी वाल, आबूरोड, अतिरित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट माउंट आबू गणपत लाल विश्नोई, न्यायिक मजिस्ट्रेट आबूरोड ललित पुरोहित सहित अन्य अधिकारी साथ थे।