नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड अवमानना मामले में सोमवार को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ गया। फैसले इस फैसले से तय हो गया की प्रिंट मीडिया के कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ जरूर मिलेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी मीडिया मालिक को अवमानना का दोषी नहीं माना साथ ही वेजबोर्ड के लिए लड़ने वाले पत्रकारों को लेबर कोर्ट जाने और रिकवरी इशू कराने की सलाह दी है। सुप्रीमकोट जजों ने फैसले में मीडिया मालिकों को अवमानना का दोषी न मानने के पक्ष में लंबी चौड़ी दलीलें पेश की हैं।
पत्रकारों के पक्ष में ये कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों को वेज बोर्ड की सभी सिफारिशें लागू करने और कर्मचारियों के बकाया वेतन-भत्ते का तय समय में भुगतान करने का निर्देश दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये समूह वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करते हुए नियमित और संविदा कर्मियों के बीच कोई अंतर नहीं करेंगे। बता दें कि अदालत ने इस पर तीन मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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मजीठिया वेज बोर्ड फैसला : राजस्थान के पत्रकार रहे दो कदम आगे
क्या है मजीठिया मामला
प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के वेतन भत्तों की समीक्षा करने के लिए कांग्रेसनीत पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने 2007 में मजीठिया वेतन बोर्ड बनाया था। इसने चार साल बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया था।
इसे 11 नवंबर 2011 को अधिसूचित कर दिया गया था। लेकिन, अखबारी समूहों ने इसे मानने से इनकार करते हुए इसे अदालत में चुनौती दी थी। इसके बाद फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने वेज बोर्ड की सिफारिशों पर मुहर लगाते हुए इसे लागू करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि अखबारों में कार्यरत कर्मियों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को अप्रेल 2014 में सुप्रीमकोर्ट द्वारा वैध ठहराने के बावजूद भी मीडिया घरानों ने कर्मचारियों को उनका हक नहीं दिया। ऐसे में इस मामले में अवमानना याचिका दाखिल की गई। लंबी लडाई और उससे भी लम्बी सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई के बाद सोमवार को फैसला आया।
जानकारों का कहना है
इस बीच कानून के कुछ जानकारों का कहना है कि कानूनी पेचीदगियों के बीच सुप्रीमकोर्ट का यह फैसला पत्रकारों को किसी तरह का नुकसान पहुंचाने वाला नहीं बल्कि राहत देने वाला है वह इसलिए कि मीडिया समूह मजीठिया की जिन धाराओं का गलत मतलब निकाल कर पैसा देने से बच रहे थे उनमें से अधिकतर पर सुप्रीमकोर्ट ने अपनी राय रख दी है, लेबर कोर्ट को इसी के अनुरूप काम करना होगा। राजस्थान से जुडे अधिकतर पत्रकार जो इस लडाई से जुडे हुए है वे पहले से ही व्यवस्थित तरीके से लेबर कोर्ट में जा चुके हैं।
यूं आसानी से समझें सुप्रीम कोर्ट का आदेश
1. सभी अखबारों के लिए मजीठिया लागू करना जरूरी।
2. धारा 20-j खारिज
3. जो जो लोग भी मजीठिया लेना चाहते हैं उन सभी को लेबर कोर्ट में अप्लाई करना होगा।
4. मजीठिया के लिए स्थाई और ठेके पर रखे गए लोग सभी हकदार है।
5. एरियर की गणना लेबर कोर्ट करेगा।
6. टर्मिनेशन और ट्रांसफर के केस भी केस टू केस लेबर कोर्ट ही सुनेगा।
7. मजीठिया वेज बोर्ड को सही तरह से नही समझ पाने के कारण मालिको पर अवमानना नहीं होती है।
8. लेबर कोर्ट के लिए कोई समय सीमा तय नहीं।
9. सभी राज्य सरकारों और लेबर कोर्ट को मजीठिया लागू करने के निर्देश।
10. लेबर कोर्ट से RCC कटवानी होगी।