नई दिल्ली। आईपीएल -6 में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की जांच कर रही न्यायाधीश मुकुल मुद्गल समिति ने सोमवार को सुप्रीमकोर्ट को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी। इस मामले पर अब 10 नवंबर को सुनवाई होगी।…
न्यायालय सूत्रों के अनुसार सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट पर न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ 10 नवम्बर को सुनवाई करेगी। इस रिपोर्ट से यह भी साफ होगा कि बीसीसीआई अध्यक्ष पद से अलग चल रहे एन. श्रीनिवासन इस भूमिका के लिए पुन: चुनाव में उतर सकते हैं या नहीं।
जांच समिति के वकील राजू रामचंद्रन ने मामले पर विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंप दिया है। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता वाली इस समिति में पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली को भी शामिल किया गया था।
इस समिति ने फरवरी में सीलबंद लिफाफे में अदालत को 13 लोगों के नाम दिए थे जिनके खिलाफ आगे की जांच की आवश्यकता बताई गई थी। इससे पहले इस जांच दल की प्रारंभिक रिपोर्ट में श्रीनिवासन के दामाद गुरूनाथ मयप्पन को मुख्यरूप से शामिल किया गया था। वह चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसिपल थे और उन पर कथित तौर पर आईपीएल में सट्टेबाजी का संदेह व्यक्त किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) प्रमुख श्रीनिवासन के परिवार की आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स में हिस्सेदारी है। ऎसे में स्पाट फिकि्स ंग मामले की जांच पूरी होने तक दुनिया के सबसे धनी भारतीय क्रिकेट बोर्ड की गतिविधियों से अलग चल रहे श्रीनिवासन की किस्मत का फै सला भी मुदगल समिति की रिपोर्ट के परिणामों पर ही निर्भर होगा।
मामले की जांच में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतने के लिए समिति को पूर्व सीनियर आईपीएल अधिकारी बीबी मिश्रा का सहयोग भी प्राप्त है। इसके अलावा जांच दल को आवश्यक और संबंधित दस्तावेजों को जप्त करने और साक्ष्यों के बयान दर्ज करने का भी अधिकार है। हालांकि समिति के पास किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है।
इस जांच दल और मिश्रा को दिल्ली, मुंबई और चेन्नई से भी एकएक सीनियर पुलिस अधिकारी का सहयोग हासिल है। मामले की दो महीने की जांच के बाद जांच समिति ने अगस्त के अंत में अपनी अंतरिम रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। आईपीएल छह में स्पाट फिक्सिंग और साथ ही सट्टेबाजी को लेकरइससे पहले खुद बीसीसीआई ने जांच कराई थी जिसके लिये दो सदस्यीय जांच दल गठित किया गया था।
इस जांच दल ने मयप्पन सहित अन्य फ्रेंचाइजियों को मामले में क्लीन चिट दे दी थी। ऎसे में दरअसल यह मामला जून 2013 का है जब क्रिके ट एसोसिएशन आफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने हितों के टकराव का आरोप लगाकर अदालत से मामले की अलग से जांच कराने के लिए अपील की थी। इसके बाद अदालत ने न्यायाधीश मुदगल की अध्यक्षता में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एल नागेश्वर राव और निलय दत्ता की तीन सदस्यीय समिति को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था। इस मामले में मयप्पन, चेन्नई के मालिकाना हक वाली इंडिया सीमेंट्स कंपनी और राजस्थान रायल्स तीनों जांच के घेरे में है।