साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय
उदयपुर। मन की चंचलता को काबू में करने के लिए संत महात्माओं की संगति करनी चाहिए। इससे मन निर्मल होता है, जैसे गंगा जल में मिलकर अशुद्ध जल भी पवित्र हो जाता है, उसी तरह सत्संग से दुर्गुणों का नाश होता है। संसार को आज सज्जनों की जरूरत है, सज्जनों के बूते संसार सभी समस्याओं से निजात पा सकता है। यह बात बुधवार को उदयपुर के बीएन विश्वविद्यालय के मैदान में शुरू हुए कबीर पंथ समाज के राष्ट्रीय संत समागम समारोह के प्रथम दिन कबीर पंथ प्रमुख प्रकाश मुनि नाम साहेब ने अपने प्रवचन के दौरान सभा स्थल पर कही।
सद्गुरु कबीर मंडल उदयपुर एवं कबीर पंथ समाज राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में तीन नवम्बर तक चलने वाले संत कबीर धर्मदास साहेब वंशावली पंच शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत संत समागम समारोह का आगाज बुधवार सुबह ध्वजारोहण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद पंथ प्रमुख के स्वागत में धार्मिक-सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। इसी दौरान भजन मंडलियों ने मधुर भजनों की भी प्रस्तुति दी। इसके साथ-साथ प्रका मुनि साहेब ने जीवनोपयोगी बातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु के ज्ञान से ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है।
समारोह में न केवल छात्र-छात्राएं एवं स्थानीय गणमान्य लोग, अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष के सभी प्रांतों से जिज्ञासुजन के साथ संत-महंतों का आगमन हुआ है। समारोह में गुरु महिमा एवं संध्या पाठ जैसे नियमित कार्यों के अतिरिक्त एक सामूहिक पूजा विधान का भी आयोजन किया जा रहा है। आयोजन के दौरान विशाल शोभा यात्रा निकाली जाएगी जिसके माध्यम से सदगुरु कबीर साहेबजी के संदेशों को आम तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।