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Kailash Satyarthi's Nobel prize citation stolen in theft at his home in delhi
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कैलाश सत्यार्थी के घर से नोबल सर्टिफिकेट चोरी

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कैलाश सत्यार्थी के घर से नोबल सर्टिफिकेट चोरी
Kailash Satyarthi's Nobel prize citation stolen in theft at his home in delhi
Kailash Satyarthi's  Nobel prize citation stolen in theft at his home in delhi
Kailash Satyarthi’s Nobel prize citation stolen in theft at his home in delhi

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में चोरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला कालकाजी इलाके का है। यहां चोरों ने नोबेल अवार्ड सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के फ्लैट में सेंध लगाई। चोरों ने फ्लैट से नोबेल पुरस्कार का रेप्लिका सर्टिफिकेट व लाखों की ज्वैलरी पर हाथ साफ किया।

चोरों ने घर का ताला तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम दिया। मंगलवार सुबह कैलाश के बेटे ने मामले की सूचना पुलिस को दी। फिलहाल पुलिस पीड़ित के बयान पर केस दर्ज कर चोरों की तलाश कर रही है।

जानकारी के अनुसार कैलाश सत्यार्थी परिवार के साथ अरावली अपार्टमेंट कालकाजी डीडीए फ्लैट में रहते हैं। फिलहल वह एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के बोगोटा अपनी पत्नी सुमेधा सत्यार्थी के साथ गए हुए हैं।

कैलाश के बेटे भी इसी अपार्टमेंट में रहते हैं। जबकि उनकी बेटी मुंबई में रहती हैं। कैलाश सत्यार्थी के पास एक खाना बनाने वाला कुक भी रहता है। लेकिन कैलाश सत्यार्थी के अमेरिका जाने के बाद से वह भी छुटृी पर है।

मंगलवार सुबह जब कैलाश सत्यार्थी के बेटे फ्लैट में आए तो देखा दरवाजे का ताला टूटा हुआ है। अंदर जाकर देखा तो सारा सामान फैला हुआ था। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुलिस ने पीड़ित के बयान पर केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाल कर चोरों की पहचान करने में जुटी हुई है।

सत्यार्थी को कब मिला था शांति का नोबेल पुरस्कार

कैलाश सत्यार्थी बचपन से भारतीय बाल अधिकार के पक्ष में और बालश्रम के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने 1980 में बचपन बचाओ एक आंदोलन की शुरुआत की थी जिसके बाद विश्वभर में 144 देशों ने 83,000 से ज्यादा बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम शुरू कर दिया था। अपने इस महान काम के लिए उन्हें साल 2014 में पाकिस्तान की मलाला युसुफजई के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था।

जेपी आंदोलन और कैलाश: पत्रिका की शुरूआत

कैलाश ने समाजसेवा की भावना को धार देते हुए अपनी-अपनी आवाज जन-जन तक पहुंचाने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने ‘संघर्ष जारी रहेगा’ नामक पत्रिका की शुरूआत की। इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने दबे-कुचले लोगों और बंधुआ मजदूरों की पीड़ा को आवाज दी।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा का गठन

कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन की शुरूआत की। इसके लिए उन्होंने स्वामी अग्निवेश के साथ मिल कर ‘बंधुआ मुक्ति मोर्चा’ का गठन किया। इस संस्था के लगभग 20 हजार सदस्य हैं, जो कालीन, कांच, ईंट भट्ठों, पत्थर खदानों, घरेलू बाल मजदूरी तथा साड़ी उद्योग जैसे खतरनाक उद्योंगों में काम करने वाले बच्चों को मुक्त कराता है। वर्तमान में देश भर के 12 प्रांतों में बचपन बचाओ आंदोलन की राज्य इकाईयां हैं।

विदेशों तक चलाया अभियान

बाल मजदूरी के खिलाफ चलने वाले अपने अभियान को कैलाश सत्यार्थी ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी फैलाया है। उन्होंने 108 देशों के 14 हजार संगठनों के साथ मिलकर ‘बाल मजदूरी विरोधी विश्व यात्रा’ आयोजित की, जिसमें लाखो लोगों ने शामिल होकर बाल मजबूरी समाप्त करने का प्रण लिया।

सत्यार्थी को मिले राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी को समाज सेवा के साथ-साथ भोपाल गैस त्रासदी में राहत अभियान चलाने के लिए भी जाना जाता है। उन्हें 1994 में जर्मनी का ‘द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड’, 1995 में अमरीका का ‘रॉबर्ट एफ़ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड’, 2007 में’मेडल ऑफ़ इटेलियन सीनेट’ और 2009 में अमरीका के ‘डिफ़ेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवॉर्ड’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की खबर ने सभी भारतीयों को गर्व से भर दिया है।

टैगोर का नोबेल पुरस्कार भी हो चुका है चोरी

नोबेल पुरस्कार चोरी होने का यह पहला मामला नहीं है, रवींद्र नाथ टैगोर का नोबेल पुरस्कार भी चोरी हो चुका है। बंगाल में शांतिनिकेतन से रवींद्र नाथ टैगोर को मिले नोबेल प्राइज, मेडल और अहम कागजातों को चोर उड़ा ले गए थे। बंगाल सरकार की ओर से इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपी गई थी।