सबगुरु न्यूज.उदयपुर। कन्नड़ भाषा में लिखित चारू वसन्ता महाकाव्य के राजस्थानी भाषा में अनुवाद का विमोचन उदयपुर के अशोकनगर स्थित विज्ञान समिति परिसर में किया गया। विमोचन कोटा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के.दशोरा ने किया।
इस अवसर पर दशोरा ने कहा कि चारू वसन्ता प्रेममय महाकाव्य है जिसे कन्नड़ भाषा के लेखक नाडोज प्रो. हम्पा नागराजय्या ने लिखा है। इस महाकाव्य का महत्व इसी से परिलक्षित होता है कि अब तक इसे 9 भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है।
समारोह में प्रो. हम्पा ने कहा कि इस महाकाव्य को राजस्थानी भाषा में अनुवादित करने के बाद इसका महत्व और बढ़ गया है। पुस्तक की समीक्षा करते हुए बीकानेर के डाॅ. मदन सैनी एवं दुलाराम सहारण ने इस महाकाव्य को प्रणय का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य बताया। उन्होंने कहा कि इसमें महाकाव्य की सभी विधाएं उपलब्ध हैं। उन्होेंने कहा कि कन्नड़ एवं राजस्थानी भाषा में कोई विशेष अन्तर नहीं है। केवल दोनों के बीच पुल है। महाकाव्य कहता है कि मरना आसान है, जीना मुश्किल है। यही इस महाकाव्य का मूल संदेश है।
इस मौके पर राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. देव कोठारी ने भी विचार रखे। प्रो. हप्पा ने बंगलूरु की ओर से डाॅ. देव कोठारी का सम्मान किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि लेखक के.के. शर्मा ने भी विचार रखे। श्रवणबेलगोला से आए एम.जे. इन्द्रकुमार ने इस महाकाव्य को अविस्मरणीय एवं अद्भुत बताया। समारोह को प्रो. प्रेमसुमन जैन ने भी संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने की।