सूरत। गांधीजी के प्रपौत्र और विज्ञान के क्षेत्र में अपना असाधारण योगदान प्रदान करने वाले कनुभाई गांधी का सूरत में सोमवार की रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। हालांकि उनकी आखिरी इच्छा थी कि वे अंतिम सांसे साबरमती आश्रम में लें।
कनुभाई बचपन में बापू के साथ नमक सत्याग्रह के दौरान उनकी लाठी पकड़कर उनके आगे चल रहे थे। उनका वह फोटो देश-विदेश में आज भी लोगों के जेहन में समाया हुआ है।
कनुभाई ने नासा में भी 25 साल तक बतौर वैज्ञानिक काम किया था। उनकी पत्नी उस समय वहा डॉक्टर थी। अपनी अंतिम इच्छा बताते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी इच्छा है कि में अपना अंतिम समय साबरमती आश्रम में बिताऊं और अंतिम सांस साबरमती आश्रम में लूं। कनुभाई और शिवालक्ष्मी को एक भी पुत्र न होने की वजह से उनकी पत्नी शिवालक्ष्मी उनका अंतिम संस्कार करेंगी।
कनुभाई गांधी का निधन होने से उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन करने के लिए पीएन अरोरा चेरिटेबल ट्रस्ट-पार्ले पॉइंट पर रखा गया है। जहा पर स्वातंत्रता सेनानी से लेकर अनेक लोग उनके पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
कनुभाई के पार्थिव शरीर को तिरंगे मे लपेट कर सलामी दी गई। कनुभाई गाँधी की पत्नी शिवालक्ष्मी ने उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कनुभाई गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए बाद में कई राजनीतिक पार्टी के लोग उमड़ पड़े।
सभी ने कनुभाई गांधी की अंतिम क्षण तक चाकरी करने के लिए पंजाबी समाज का आभार प्रकट किया। राज्य सरकार की ओर से मंत्री नानूभाई वानाणी ने उनके परिवारजनों को ढांढस बंधाया।