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मोदी सरकार यू-टर्न लेने में माहिर : कांग्रेस - Sabguru News
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मोदी सरकार यू-टर्न लेने में माहिर : कांग्रेस

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मोदी सरकार यू-टर्न लेने में माहिर : कांग्रेस
kapil sibal slams modi criticises him for belittling prime ministers office
kapil sibal slams modi criticises him for belittling prime ministers office
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नई दिल्ली। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार यू-टर्न लेने में माहिर है। केंद्र सरकार के पास पाकिस्तान को लेकर कोई भी ठोस नीति नहीं है। सरकार सीमा पार से घुसपैठ रोकने में पूरी तरह असफल है। पिछले 19 महीने में देश की सीमा पर पाकिस्तान द्वारा एक हजार बार से अधिक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया गया है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात कर चुके हैं। पहले ऊफा में फिर पेरिस और तीसरी बार हाल ही में लाहौर में, जब वह नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई देने और पारिवारिक शादी में शामिल होने के लिए गए थे।

कांग्रेस का आरोप है कि बिना कोई होमवर्क किए इस तरह के अनौपचारिक निमंत्रण स्वीकार करना देश के प्रधानमंत्री के लिए नुकसानदायक है, जो आज पठानकोट में पाकिस्तान के द्वारा एक बार फिर पीठ में छुरा घोंपे जाने के कारण देश की निंदा के पात्र बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि भले ही भाजपा और मोदी समर्थक इस पारिवारिक उत्सव में नरेंद्र मोदी के जाने को ‘लीक से हटकर कूटनीति’ बता रहे हैं, लेकिन असल में यह एक ‘नासमझ कूटनीति’ है। मोदी के ऐसे बिना सोचे समझे लिए निर्णयों का नुकसान देश को उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि देश की जनता जानना चाहती है कि बैंकॉक में एनएसए की बैठक एवं मोदी द्वारा काबुल से वापस जाते वक्त बिना किसी पूर्व योजना के लाहौर में रुकने का अपरिपक्व निर्णय लेने से देश को क्या फायदा हुआ? मोदी को हमेशा इतिहास बनाने के लिए तत्पर रहने की जगह इतिहास से सीख लेने की जरूरत है।

पाकिस्तान द्वारा हम पर एक बार नहीं कई बार हमला हुआ है। इसके बावजूद पाकिस्तान से रिश्तों के संबंध में अपरिपक्व निर्णय लेकर मोदी एवं भाजपा सरकार ने अपनी साख कमजोर की है। बिना सोचे समझे पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश का परिणाम विश्वासघात ही होता है।

सिब्बल ने दावा किया कि विदेश नीति में स्थिरता एवं संस्थागत मार्गदर्शन की विशेष जगह होती है। गत मई, 2014 से मोदी की पाकिस्तान नीति खुद ही भ्रमित है, इसमें स्थिरता की कमी है एवं संस्थागत मार्गदर्शन है ही नहीं। इसीलिए विदेशी मामलों की मंत्री को दरकिनार कर दिया गया है एवं अन्य वरिष्ठ मंत्रियों को भी यह नहीं पता है कि प्रधानमंत्री अब क्या करने वाले हैं।

मोदी की पाकिस्तान नीति एक दिशाहीन मिसाईल की तरह है, जो छोड़ा तो बैंडबाजे के साथ जाता है, लेकिन फिर अपना मार्ग भटककर अंत में अनजान जमीन पर जाकर फट जाता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पठानकोट के संदर्भ में रक्षामंत्री पार्रिकर ने कहा था कि हमारे सभी एसेट सुरक्षित हैं।

सिब्बल ने रक्षा मंत्री को इसका जवाब देते हुए कहा कि हमारे सबसे महत्वपूर्ण एसेट हमारे सैनिक एवं अधिकारी हैं, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। यदि सरकार थोड़ी भी सावधान होती, तो उन सैनिकों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने मांग की कि रक्षामंत्री ऐसे बयान देकर शहीदों का अपमान न करें।

उन्होंने वित्तमंत्री अरुण जेटली के बयान कि उन्हें सूचना थी कि आतंकवादियों का लक्ष्य वायुसेना बेस में हमारे एसेट थे, के जवाब में सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि वह सरकार को उन एसेट को सुरक्षित बचाने की बधाई दे रहे हैं? जबकि इस समय तो केंद्र को अपनी सरकार की असफलता स्वीकार करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक ताज्जुब की बात तो यह है कि जब दो आतंकवादी जिंदा थे और उनसे सेना की मुठभेड़ जारी थी, उस समय देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके यह संदेश दे डाला कि कार्यवाही सफलतापूर्वक समाप्त हो गई। बाद में जब उन्हें अपनी गलती का पता चला, तो ट्वीट हटा दिया।

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री एवं उनका ट्वीटिंग मंत्रिमंडल आज नासमझी की मिसाल बन गया है। उन्होंने कहा कि अब देश चाहता है कि वो ट्वीट करना बंद करके इस बहुमूल्य समय का उपयोग देश की गंभीर समस्याओं को सुलझाने में करें। देश पर किए गए किसी भी हमले के दौरान नुकसान को कम करने में सरकार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।

उन्होंने सवाल किया कि सरकार दावा कर रही है कि उन्हें इस हमले की सूचना पहले ही मिल गई थी, लेकिन केंद्र ने क्या किया? क्या सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी की बैठक बुलाई गई? प्रधानमंत्री उस समय ‘मैसूर’ में योगा कार्यक्रम में व्यस्त थे। गृहमंत्री असम जा रहे थे। यहां तक कि दायित्व संभालने के लिए भी कोई मौजूद नहीं था।

यह पूरी कार्रवाई एनएसए को करनी पड़ी। इस हमले को विफल हमारी सेना की योग्यता एवं सामर्थ्य ने किया, न कि एनएसए के अपरिपक्व नेतृत्व ने। उन्होंने दावा किया कि ऐसा लग रहा है कि एनएसए भारतीय सेना को किनारे करके इस कार्यवाही का पूरा श्रेय खुद लेना चाहते हों।

उन्होंने सवाल किया कि जब इस हमले की गुप्त सूचना पहले ही मिल चुकी थी, तो एयरबेस पर भारतीय सेना की तैनाती क्यों नहीं की गई? गृहमंत्री बुधवार को आयोजित हुई कैबिनेट बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए?