करौली। करौली जिले की समृद्ध नैसर्गिक संपदा से देश-प्रदेश को रूबरू कराने और करौली को बर्डवॉचिंग डेस्टीनेशन के उद्देश्य से जिला कलक्टर विक्रम सिंह की पहल पर पहली बार शनिवार को वृहद पैमाने पर करौली बर्ड फेयर का आयोजन हुआ।
जिला प्रशासन,वन व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में यह मेला शनिवार को करौली से 8 किलोमीटर की दूरी पर मामचारी बांध पर आयोजित इस मेले में लगभग एक हजार विद्यार्थियों और आमजनों ने परिंदों की रंगीन दुनिया को करीब से देखा और उत्साहित हुए।
शनिवार को यहां पर दिनभर बर्डवॉचिंगए विभिन्न प्रतियोगिताओंए प्रदर्शनी और पर्यावरण विषयक कार्यशाला में परिंदों और पर्यावरण संरक्षण के संदेश प्रसारित हुआ।
पर्यटन विकास का पहला सोपान है बर्डफेयर
जिला कलक्टर विक्रम सिंह ने कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों की हौंसला अफज़ाई करते हुए कहा कि वन्य जीव हमारे जीवन के अभिन्न अंग है इनकी सुरक्षा एवं संरक्षण करना भी हमारी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि बर्ड फेयर के आयोजन से बच्चों को प्रकृति और पक्षियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ इनके संरक्षण के प्रति लगाव भी उत्पन्न होता है। सिंह ने कहा कि बर्डफेयर जिले में पर्यटन विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने का पहला सोपान है और भविष्य में भी इस तरह के आयोजन कर युवाओं को भी इससे जोडा जाएगा।
उन्होंने मामचारी बांध पर पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ इसके विकास के प्रस्ताव तैयार किए जाने की योजना के बारे में भी संभागियों को बताया। उन्होंने कहा कि इस बांध पर्यटन की दृष्टि से उपयोगी बनाने हेतु नौकायनए बर्ड वाचिंग आदि सुविधाएं विकसित की जाएगी।
इस मौके पर वन्य जीव बोर्ड के सदस्य राजपाल सिंह ने बर्ड फेयर के आयोजन को सराहते हुए कहा कि ऐसे आयोजन वन्य जीवों की सुरक्षा और सरंक्षण के प्रति बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि चम्बल के पानी को बिना सेंचुरी को नुकसान पहुंचाये पेयजल योजना के प्रस्ताव पर सरकार पूरी तरह संवेदनषील है।
सिंह ने ईको टूरिज्म की चर्चा करते हुए कहा कि करौली जिले में ईको टूरिज्म की संभावनाएं बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि विलेज शिफ्टिंग के बाद ही यहां वन्य जीवों के लिए माहौल तैयार हो सकता है।
कई विशिष्टजन रहे मौजूद
पक्षी मेले में स्थानीय लोगों के अलावा जयपुर निवासी एवं न्यूयार्क प्रवासी शिवानी, दिल्ली की अंजनी, सरिस्का टाइगर अभ्यारण्य से जुडे़ फांउण्डेशन के सचिव दिनेश दुर्रानी एवं उनकी धर्मपत्नी पूनम दुर्रानी, एसीएफ रणथम्भोर दौलत सिंह, पूर्व नरेश करौली कृष्ण चन्द्र पाल तथा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के डॉ. अभिषेक भटनागर सहित जिला पुलिस अधीक्षक अनिल कायल, डीएफओ संग्राम सिंह कटियार, एसीएफ आलोक गुप्ता,एसीएम सना सिद्दकी, एसडीएम नादौती भगवत सिंह देवल, हिण्डौन केसी शर्मा,मण्डरायल मोहम्मद सलीम खान, कोषाधिकारी नरेन्द्र सिंह, सीएमएचओ डॉ.रामरूप मीना, जिला रोजगार अधिकारी जेएन निर्वाण, जिला रसद अधिकारी रामसिंह मीना पहुंचे और बर्डफेयर की विविध गतिविधियों का लुत्फ उठाया।
रोमांचित हो उठे विद्यार्थी
अब तक बच्चे जिन पक्षियों को मात्र चिडि़या कहकर संबोधित करते थे उन पक्षियों को जब बायनाकूलर्स और स्पोटिंग स्कॉप के सहारे जलक्रीड़ाएं करते देखा तो रोमांचित हो उठे। दो दर्जन से अधिक अलग अलग प्रजातियों के पक्षियों के नामए उनके पंखों के रंग, चोंच और पैरों के प्रकारों के बारे में जब भरतपुर स्थित विश्वप्रसिद्ध घना पक्षी अभयारण्य के पक्षी विशेषज्ञों के एक दल ने करीब से दिखाया।
बच्चों को बताया कि इनमें से कई पक्षी सात समंदर पार से भी आए हैं तो उनके उत्साह की कोई सीमा नहीं थी। बच्चों ने न सिर्फ पक्षियों को देखा अपितु जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्रोशर में उनको पहचान कर उनका नाम भी बताया। परिंदों की इस रंगीन दुनिया को निहारने के लिए करौली शहर और आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और इस मेले का लुत्फ उठाया।
रंगों और पेंसिल से उकेरा कल्पनाओं को
इस बर्डफेयर में बर्डफेयर स्थल पर जिला मुख्यालय की विभिन्न 19 निजी एवं सरकारी विद्यालयों के 700 से अधिक विद्यार्थियों को न सिर्फ बर्डवॉचिंग करवाई अपितु पक्षियों और पर्यावरण विषयक क्विज़ और ड्राईंग प्रतियोगिता में उनके ज्ञान और कला कौशल को परखा।
क्विज़ प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने पक्षियों और पर्यावरण से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए वहीं ड्राईंग प्रतियोगिता में विरासत ए करौली थीम पर रंगों और पेंसिल के सहारे कार्डशीट पर अपनी कल्पनाओं को उकेरा।
प्रदर्शनी में दिखी शिल्प-स्थापत्य और प्रकृति
बर्डफेयर के मौके पर इंटेक के करौली चेप्टर की तरफ से एक आकर्षक प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें करौली के शिल्प स्थापत्य के साथ प्राकृतिक विशिष्टताओं पर तैयार किए गए फोटोग्राफ्स को प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी को देश प्रदेश से आए अतिथियोंए पर्यावरण प्रेमियों और विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से देखा और करौली की कलाए संस्कृति और पर्यावरणीय विशिष्टताओं की झलक से गौरव की अनुभूति की।
पक्षियों और पर्यावरण के प्रति बच्चों की रूचि जगाने लिए जिला प्रशासन द्वारा इस बर्डफेयर में बर्डवॉचिंग में उपयोग आने वाली टोपीए पक्षियों की जानकारी देने वाला बहुरंगी फोल्डर और गत्ते से बना गौरेया का कृत्रिम घौंसला गिफ्ट में दिया। इस गिफ्ट को प्राप्त कर बच्चे बड़े उत्साहित नज़र आए।