नई दिल्ली। इस वर्ष 15वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन बेंगलुरु में 07-09 जनवरी को होगा। पहले प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन 09-11 जनवरी-2003 को हुआ था।
जानकारों के मुताबिक 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर अगस्त-2000 में किया गया था।
गौरतलब है कि 09 जनवरी-1915 को ही महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के हितों के लिए 21 वर्ष संघर्ष करने के बाद भारत लौटे थे।
महात्मा गांधी ने अपने अधिकारों के लिए अहिंसात्मक विरोध का सफलतापूर्वक इस्तेमाल भारत के पहले दक्षिण अफ्रीका में ही किया था। औपनिवेश काल के उस दौर में गांधी की इस ताकत का लोहा तब पूरी दुनिया ने माना था।
बाद में अहिंसात्मक सत्याग्रह के जरिये ही भारत को आजादी मिली। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (1999-2004) ने प्रवासी भारतीयों की ताकत को एकजुट करने में काफी रूचि ली थी।
वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु विस्फोट के बाद भारत पर कई तरह प्रतिबंध लग गए थे। इससे निपटने में वाजपेयी प्रवासी भारतीयों की मदद चाहते थे। मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रवासी भारतीयों की ताकत का लोहा पूरी दुनिया मान रही है।