नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के हालात के स्थायी समाधान के लिए संविधान के दायरे में राजनीतिक संवाद की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को जम्मू कश्मीर के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कश्मीर में जारी हिंसा को लेकर ‘गहरा दुख’ व्यक्त किया। मोदी ने कहा कि सरकार और पूरा देश जम्मू कश्मीर के साथ है।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को लोगों के बीच जाकर यह संदेश देना चाहिए। उन्होंने राज्य के विकास के प्रति अपने संकल्प को भी दोहराया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालिया घटनाओं में जिन लोगों की जानें गईं, वह हमारा ही हिस्सा थे। चाहे वह युवा हो, सुरक्षाबलों के जवान हों या फिर पुलिस के अधिकारी, किसी की भी मौत चिंता का सबब है।
प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साउथ ब्लॉक में जाकर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मोदी से कहा कि जम्मू कश्मीर का मसला सियासी है और इसका हल सियासी तौर से ही निकाला जाना चाहिए।
इस मुलाकात में जम्मू-कश्मीर की विपक्षी पार्टियों के दल ने प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन सौंपकर राज्य में पेलेट गन्स के इस्तेमाल पर तत्काल बैन लगाने की अपील की है क्योंकि इसके इस्तेमाल से काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा कश्मीर घाटी के ताजा हालात के बारे में सभी संबंधित पक्षों के साथ तत्काल बातचीत शुरू करने की अपील की है।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा यह प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने किसी की शिकायत करने के लिए नहीं बल्कि समाधान की उम्मीद से आया है।
इस मुलाकात में अब्दुल्ला के अलावा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एम वाई तारीगामी और नेशनल कांफ्रेंस के प्रदेश प्रमुख नसीर वानी और देवेंद्र राणा शामिल थे। मोदी से मुलाकात के समय प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
इससे पहले यह विपक्षी दल शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकल जम्मू-कश्मीर के हालात पर चिंता जता चुका है। इसके साथ ही रविवार को कश्मीर की विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
कश्मीर में 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में हुई मौत के बाद से हिंसा शुरु हुई थी जिससे हालात बिगड़ गए थे। इस हिंसा में अब तक 50 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और कई लोग घायल हुए हैं। घाटी में आशांति के हालात बने हुए हैं।