जम्मू। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत द्वारा मुठभेड़ स्थलों पर हिंसक प्रदर्शन करने वालों को चेतावनी जारी करने के बाद राज्य सरकार भी हरकत में आई है और उसने भी सेना प्रमुख के सुर में सुर मिला दिया है।
प्रशासन ने भी आम लोगों को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आतंकी विरोधी अभियान वाली जगहों से दूर रहने का परामर्श जारी किया है।
श्रीनगर, बड़गाम और शोपियां जिले में प्रशासन ने अपने निर्देश में कहा है कि मानव जीवन को नुकसान से बचने के लिए लोग उन जगहों के करीब ना जाएं जहां सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो रही हो।
सनद रहे कि प्रशासन ने कश्मीर घाटी में पिछले साल आतंकवादी बुरहान वानी में मारे जाने के बाद हुई अशांति के दौरान भी युवाओं के अभिभावकों से इसी तरह का परामर्श जारी करते हुए कहा था कि वे अपने बच्चों को समझाएं कि वे विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं लें।
सरकार ने उस समय इसलिए ऐसा परामर्श जारी किया था क्योंकि हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते सुरक्षा जवानों की अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए की जाने वाली कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी मारे गए थे और यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा था।
इसके साथ प्रशासन ने जिले में आतंकी रोधी अभियान वाली जगहों के तीन किलोमीटर दायरे में प्रवेश निषेध कर दिया है। हालांकि इसमें साथ ही बताया गया है कि यह निषेधाज्ञा एम्बुलेंस, चिकित्सा कर्मियों और सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी।
बता दें कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आतंकी मुठभेड़ के दौरान सेना पर पथराव करने वालों को देशद्रोही मानकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। जनरल रावत का यह बयान घाटी में मंगलवार को हुई दो अलग-अलग मुठभेड़ों में एक मेजर सहित सेना के चार जवानों के शहीद होने के एक दिन बाद आया था।
उन्होंने कहा था कि कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों के शत्रुतापूर्ण आचरण के कारण लोग अधिक हताहत होते हैं और सुरक्षा बलों की आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान हमला करने वालों के साथ राष्ट्र विरोधी के तौर पर बर्ताव होगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
सेना प्रमुख के इस बयान की जहां कुछ राजनीतिक दलों ने आलोचना की है, वहीं रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनका समर्थन किया है। पर्रिकर ने कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकवादी नहीं मानती है, लेकिन अगर कोई आर्मी के खिलाफ कुछ करे, तो मौजूद अधिकारी को फ्री हैंड होता है।