श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों के डिग्री प्रमाण पत्रों की जांच करने का राज्य सरकार को आदेश दिया है।
न्यायाधीश मुजफ्फर अत्तार की एकल पीठ ने एक शिक्षक के न्यायालय कक्ष में लिए गए टेस्ट में असफल होने के बाद शनिवार को यह आदेश दिया।
अदालत में एक याचिका दायर की गई थी कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंद निवासी मोहम्मद इमरान खान के पास दिल्ली उच्चतर माध्यमिक बोर्ड के 12 वीं कक्षा पास होने का सर्टिफिकेट है और उसकी बहाली शिक्षक के रूप में हुई है।
याचिका की सुनावाई के दौरान अदालत ने मोहम्मद इमरान का कोर्टरुम में टेस्ट लिया और गाय के ऊपर उर्दू और अंग्रेजी में लेख लिखने को कहा। इमरान बहुत देर तक कागज-कलम लेकर बैठा रहा और पूछने पर बाहर जाकर लिखने की इजाजत मांगी। अदालत ने उसकी मांग मान ली। लेकिन वह बाहर बैठ कर भी कुछ नहीं लिख सका।
बाद में उसने कहा कि वह गणित में निपुण है और वह गणित की परीक्षा दे सकता है। लेकिन वह चौथी कक्षा के गणित का सवाल भी नहीं कर सका।
न्यायालय ने स्कूली शिक्षा के मुख्य सचिव और निदेशक से रहबर-ए-तलीम के तहत नियुक्त सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए समिति गठन करने का आदेश दिया और फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों के खिलाफ मामला भी दर्ज करने का निर्देश दिया।
अदालत शिक्षा विभाग की उस समिति को खारिज कर दिया जिसने इमरान की नियुक्ति की थी। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को फर्जी प्रमाण पत्रों पर नियुक्त हुए शिक्षकों को नौकरी से निकालने का आदेश भी दिया।