Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
'अमरनाथ आतंकी हमले की निंदा कश्मीरियत के जिंदा होने का सबूत' - Sabguru News
Home Headlines ‘अमरनाथ आतंकी हमले की निंदा कश्मीरियत के जिंदा होने का सबूत’

‘अमरनाथ आतंकी हमले की निंदा कश्मीरियत के जिंदा होने का सबूत’

0
‘अमरनाथ आतंकी हमले की निंदा कश्मीरियत के जिंदा होने का सबूत’
Kashmiris Protest Against Amarnath Attack, Mehbooba Mufti Says nobody can kill kashmiriyat
Kashmiris Protest Against Amarnath Attack, Mehbooba Mufti Says nobody can kill kashmiriyat
Kashmiris Protest Against Amarnath Attack, Mehbooba Mufti Says nobody can kill kashmiriyat

श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि कश्मीरियों द्वारा अमरनाथ हमले की कड़ी निंदा इस बात का सबूत है कि ‘कश्मीरियत’ जिंदा है। महबूबा मुफ्ती 1931 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत कर रही थीं।

महबूबा ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा पैदा किए गए डर और आतंक के माहौल के बावजूद कश्मीरियों ने राजनीतिक और वैचारिक भेदभावों से ऊपर उठकर आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की है।

आतंकवादियों ने सोमवार को जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर अनंतनाग जिले के खानबल इलाके में अमरनाथ यात्रियों की बस पर गोलियों की बौछार कर दी थी, जिसमें सात यात्रियों की मौत हो गई और 19 अन्य घायल हो गए।

मुख्यमंत्री गुरुवार को पुराने शहर के खानयार इलाके में शहीदों के कब्रिस्तान पहुंचीं। उनके साथ सत्तारूढ़ पीडीपी के वरिष्ठ मंत्री थे।

राज्य पुलिस के एक दल ने शहीदों की कब्र पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया और पुष्पांजलि अर्पित की। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष जी.ए. मीर ने भी यहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

13 जुलाई, 1931 को श्रीनगर सेंट्रल जेल के बाहर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई थी, जहां एक स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कादिर की पेशी हो रही थी।

गोलीबारी तब हुई, जब भीड़ कादिर को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ सेंट्रल जेल पर टूट पड़ी थी। नौहाटा के पास स्थित खानयार इलाके में शहीदों की कब्रगाह के आसपास कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, जहां बुधवार को हिजबुल आतंकी सजाद अहमद गिलकर के मारे जाने के बाद से तनाव व्याप्त था।