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Kavi sammelan organised on occasion of navsamvatsar in sirohi by news year celwbRation committee
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कवि सम्मेलन में लगे ठहाके, आया लहू में उबाल

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कवि सम्मेलन में लगे ठहाके, आया लहू में उबाल
Poets on stage during kavi sammelan in sirohi
Poets on stage during kavi sammelan in sirohi
Poets on stage during kavi sammelan in sirohi

सिरोही। कश्मीर समस्या व आतंकवाद – उग्रवाद के दंश पर तीखे सवाल व कटाक्ष के साथ साथ कवियों की महफिल में गीत, गजल, हास्य व्यंग्य पर  ठहाके लगे वही देश भक्ति काव्य पाठ के बीच भारत माता की जय के नारों व तालियों की करतल ध्वनि के साथ श्रोताओं ने भरपूर दाद दी।

नवसंवत्सरएवम् राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर नववर्ष स्वागत समारोह समिति व नगरपरिषद् के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को आयोजित विराट कवि सम्मेलन में देश में ओज के प्रखर प्रहरी के रूप में ख्यातनाम कवि योगेन्द्र शर्मा ने उत्सव को महोत्सव में बदलते हुए रचना ’’नहीं फड़कता देश दिलों मंे वो बर्बाद जवानी है……’’ तथा ’’ कदम कदम पर भारत माँ की गर्वित कहानी हैं समझोतो मंे हार गये वो धरती वापस लानी हैं…’’ एवम् कविता ’’जन्मेजय के नागयज्ञ का पुर्नविधान जरूरी हैं देशद्रोह के कोलाहल में विप्लवगान जरूरी हैं…’’ सरीखे एक से बढ़कर एक काव्य गीत प्रस्तुत कर देशभक्ति का ज्वार पैदा किया वही माहोल को खुशनुमा बनाने के साथ साथ देश की दशा व दिशा पर सभी को सोचने के लिए विवश कर दिया।

समिति के प्रचार प्रमुख लोकेश खण्ड़ेलवाल के अनुसार कवि सम्मेलन का आगाज कर शहर के बाबा रामदेव गार्डन में वीररस के कवि प्रदीप पंवार ने नवसंवत्सर व राजस्थान दिवस की सभी को बधाई देते हुए कहा कि ’’रोम रोम में महके चन्दन हर्ष हैं जो ऐसा हैं, टूटे छद्म द्वेष घटबंधन उत्कर्ष है तो ऐसा हैं, मन आंगन में सजे रंगोली नई उमंगे दिये जलायें संस्कृति मधु अभिनन्दन नववर्ष है तो ऐसा हैं…’’ आदि चार चार पंक्तियाँ सुनाकर माहोल को खुशनुमा बनाया और समा बांध दिया। प्रदीप पंवार ने एक अन्य रचना में हिन्दुत्व की व्यापक परिभाषा का परिचय कराते हुए कहा कि ’’हिन्दु जीवन शैली हैं ईश्वरीय संधान हैं, विश्व शिरोमणि संस्कृति की एक अमिट पहचान है, जो मातृभूमि से करे प्रेम वो सब हिन्दु होते है आप हिन्दु हैं मैं हिन्दु हॅू हिन्दु हिन्दुस्तान है….’’।
राष्ट्रीय रसधार के कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपनी लेखनी की दृढता का परिचय कराते हुए कहा कि अंगारों के पथ पर हम कवि कभी मरे नहीं, दिवारों में चुने गये लेकिन धर्म युद्ध के लिए कभी डरे नहीं। शर्मा ने ज्यो ही काव्य गीत से हुंकार भरी तो श्रोताओं की भूजाएं भी फडक उठी और जर्रे जर्रे में राष्ट्रभक्ति भावना का ज्वार पैदा कर उरी हमले पर सवाल खडे कर कहा कि ’’अगर सियासी रंग ना चढा होता संविधान की वर्दी पर तो आंतकी घटनाओं को कोई नादान नहीं करता, सही वक्त पर सरेआम अफजल को फांसी दी होती तो मुम्बई में घनघोर धमाके वो शैतान नहीं करता, एक शीश के बदले मे अगर दस हमने कांटे होते तो रणवीरों का व्यर्थ में बलिदान नही होता….’’ तथा देश समाज में कवियों की भूमिका व कर्मक्षैत्र की बात बताते हुए कहा कि ’’मांस नोचे जब अधर्मी गिद्ध बनकर धर्मरक्षा के स्वरों का गान कविता है सुनो, सागरों के शान्त जल में ज्वार का उन्माद भरकर शब्द शक्ति जागरण अभियान कविता है सुनो….’’ आदि सुनाकर भरपूर तालिया बटोरी।
हास्य व्यंग्य कवि बलवन्त बल्लु ने कन्या भू्रण हत्या को बडा पाप बताकर घर में बहु के बेटी जनने पर मायुस होने वाले इस सभ्य समाज पर तीखे प्रहार कर कहा कि ’’ ना जाने जमाने की क्या सोच हो गई हैं बेटी आज सर का बोझ हो गई हैं…. सुनाकर सवाल दागे की जब 21 वीं सदी में जाओंगें तब क्या प्यार किसी रोबोट से कर पाओगें – राखी किसी मशीन से बंधवाओंगंे- माँ ममता क्या बाजार से खरीदोगें ? इसी प्रकार कवि सम्मेलन के आकर्षण का केन्द्र रहे मायड भाषा के कवि गिरीश जोशी ने अपने सुरीले कण्ठ से फाल्गुनी गीत की मस्ती बिखेरते हुए धिनचिक चिक चंग की धुन निकालते हुए गीत ’’बिति राते ठिठुरन वाली उत्सव मन में छाया रंगीले फुलो को देख बशंती आया रे… तथ क्षैत्र के अशिक्षित राजनेतिक नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा कि ’’ सोरो री सरकार देको वोट भटूका फोडेरे सूरजडा ने सोर चन्द्रमा किदो रे, अनभणीयोडा सापीटिकट लेन आया रे स्कूलो रा मास्टर क्यू गोबर खायो रे….’’।
जोशी ने स्थानीय बोली मायड भाषा की पुरानी उक्तियों, बातों के विलुप्त होते जाने पर गहरी चिन्ता प्रकट की, उन्होेंने श्रोताओं की बेहद मांग पर ’’सोरा समना टाटा वैसेन टिकस लावेन देजे…. भी सुनाकर वाहवाही लुटी।
इसी तरह मंच की कवियत्री डॉ. नमृता नमिता ने श्रृंगार गीत ’’शर्म हया क्या होती हैं आंखों का पानी भूल गये…. समेत कई मुक्तक, गजल, शेर सुनाये वहीं संचालक से उनकी हुई तीखी नोक जोक ने सभी का भरपूर मनोरंजन किया। प्रसिद्ध पेरोडीकार शैलेन्द्र शेलु ने फिल्मी गीतों की धुनों पर केजरीवाल, देश के पप्पु सहित नेताओं पर व्यंग मारा वहीं पेरोडी गीत के माध्यम से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। बल्लु के बीच बीच में ’हूम’ की आवाज के साथ गेेर बदलने क अंदाज को भी सभी ने सराहा। इसी क्रम मंे कवि गोरस प्रचण्ड, कवि सिद्देश्वर सिद्दू, दिलीपसिंह दिपक तथा स्थानीय रचनाकार सुरेश नागर व ललित कुमार ने भी कविता पाठ किया। इस मौके पर रातभर श्रोताओं ने कविता पाठ, गीत, रचना का लुफ्त उठाया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथि जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया, प्रधान प्रज्ञा कुंवर, सभी ताराराम माली, स्वागत समिति के अध्यक्ष रमेश कोठारी, आयुक्त प्रहलाद राय वर्मा, लुम्बाराम चौधरी, उपसभापति धनपतसिंह राठौड़, रघुभाई माली, महेश टाक आदि द्वारा दीप प्रज्जवलन एवम् कवियत्री द्वारा सरस्वती वन्दना सुनाकर किया गया। इस अवसर पर स्वागत समिति के अशोक पुरोहित, सुरेश सगरवंशी, लोकेश खण्ड़ेलवाल, भूूपतभाई देसाई, विरेन्द्रसिहं चौहान, डॉ. के.एल. बोहरा, राजेश बारबर, फुलाराम गर्ग, कैलाश जोशी, विक्रमसिंह यादव, नरेन्द्र शर्मा, हेमन्त पुरोहित, राजेश सिंह देवड़ा, सहित पार्षदगण व भारी संख्या में शहर के आस पास के क्षैत्र से आये नागरिक मौजूद थे।