नई दिल्ली। दिल्ली सरकार को झटका देते हुए सुप्रीमकोर्ट ने उप-राज्यपाल के अधिकारों को लेकर गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी को अंतरिम आदेश बताते हुए शुक्रवार को इस संबंध में दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायाधीश ए.के. सीकरी एवं न्यायाधीश यू. यू. ललित की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका पर यह नोटिस जारी किया।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 25 मई को जारी किए गए इस फैसले में केंद्र सरकार की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार दिया गया था और दिल्ली की भ्रष्टाचार-रोधी शाखा (एसीबी) को दिल्ली पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत सुनने और कार्रवाई करना का अधिकारी बताया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 21 मई को गृह मंत्रालय की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार देने वाला यह आदेश दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल अनिल कुमार की जमानत याचिका पर दिया, और इस मामले में न तो केंद्र सरकार कोई पक्ष था और न ही यह गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर सुनवाई का अवसर था।
दिल्ली सरकार द्वारा गृह मंत्रालय की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि इसलिए हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि दिल्ली हाईकोर्ट की यह टिप्पणी ‘अंतरिम’ प्रकृति का है और दिल्ली सरकार की याचिका पर किसी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना स्वतंत्र रूप से सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय खुला हुआ है।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के दूसरे पैराग्राफ पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह दिल्ली सरकार से जवाब मिलने के बाद ही उस पर कुछ कहेगा।
सुप्रीमकोर्ट ने यह भी कहा कि वह हाईकोर्ट द्वारा 25 मई को दिए गए उस आदेश से प्रभावित हुए बिना स्वतंत्र रूप से निर्णय लेगा, जिस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।