जगदलपुर। लोगों की मनोकामना पूरी करने वाले देवी- देवताओं को वर्ष में एक बार खुद की सफाई अदालत में देनी होती है।
इलाकों में सालों से चली आ रही इस परम्परा का पालन आज भी देवी भक्त करते हैं। ऐसा ही नजारा केशकाल के नौपरगना की देवी भंगाराम माई के द्वार पर नजर आया।
देवों के देव आंगा देव अपने भक्तों के हुजूम के साथ जब पहुंचे तो पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। ग्रामवासियों को परेशान करने वाले देवी-देवताओं की पुकार मंदिर के प्रधान पुजारी ने लगाई।
इतना ही नहीं सुनवाई के बाद सजा मुकर्रर कर इस बात की ताकीद की गई कि वे लोगों को परेशान न करें।
भक्तों द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे को मंदिर के पास विसर्जित कर दिया जाता है, यहां पत्थर की एक मूर्ति खंडित अवस्था में रखी है।
इसे लेकर यह मान्यता है कि भादों मास के अंतिम शनिवार के पहले के सात शनिवार तक देवी देवता हाजिरी देकर सेवा करते हैं। जात्रा के बाद विदाई होती है और वे किसी को परेशान नहीं करते।