सबगुरु न्युज, सिरोही। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सिरोही नगर परिषद की आदर्श नगर मार्ग पर स्थित खसरा नम्बर 1218 के 13 पटटे नगर परिषद ने जारी कर दिए हैं। इन्हीं में से एक रिपोर्ट में सभापति ताराराम माली ने यह स्वीकार किया है कि यह पटटे जारी कर दिए गए हैं।
यदि ऐसा हुआ है तो इसमें राज्यमंत्री ओटाराम देवासी की साख खतरे में पड सकती है। कांग्रेस के लिए निकट भविष्य में उनकी नीयत पर सवाल उठाने का यह सबसे बडा हथियार होगा। क्योंकि जिस 1218 के पटटे कथित रूप से वर्तमान सभापति ताराराम माली ने जारी कर दिए हैं उसी में अनियमितता का सवाल ओटाराम देवासी पिछले विधानसभा सत्र में विधानसभा में उठा चुके हैं।
अब सवाल यह बनेगा कि जिस खसरा संख्या 1218 पर उस समय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने भ्रष्टाचार और अनियमितता का संदेह जताते हुए विधानसभा में सवाल उठा दिया था, उनके राज्यमंत्री बनते ही ऐसा क्या हुआ कि यह काम एकदम पाक साफ हो गया।
यदि इस खसरे के पटटे जारी हुए हैं और इसमें वाकई अनियमितता है, जैसा कि राज्यमंत्री ने विधानसभा में सवाल उठाया था, तो दोषियों को शीघ्र कार्रवाई नहीं करने पर राज्यमंत्री को कांग्रेस के विरोध के दौरान राज्य सरकार को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। वैसे इस खसरे में व्यक्तिगत रुचि रखने वाले एक भजपा जनप्रतिनिधि इस मामले में जिले में कांग्रेस के कद्दावार नेता को ललकारते हुए भी नजर आ रहे हैं। इस मामले में इतने लूपहोल हैं कि एक को पूरा करने पर दूसरा उजागर हो जाएगा। इस मामले में राज्यमंत्री व सिरोही के प्रभारी मंत्री की खमोशी राज्य सरकार की साख पर भी विपरीत प्रभाव डालेगी।
क्या है खसरा नम्बर 1218
आदर्श नगर मुख्य मार्ग पर यह नगर परिषद सिरोही की वह जमीन है, जिस पर कब्जे के लिए जारी किए गए नोटिस संदेह के दायरे में थे। इन नोटिसों के लिए राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने तेरहवी विधानसभा के दसवे सत्र में तारांकित सवाल संख्या 5996 पूछ था, इसका जवाब भी विधानसभा के माध्यम से दिया गया था।
इस जमीन पर जब 2013 में सीमेंटेड ईंटों से कब्जा किया जा रहा था तब तत्कालीन जिला कलक्टर एमएस काला ने जिला मुख्यालय की अतिक्रमणों को तोडने की पहली बडी कार्रवाई करवाते हुए तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त शिवपालसिंह के माध्यम से इन सभी कब्जों को जमीदोज करवा दिया था। इन कब्जों मंे एक कब्जा वर्तमान पार्षद के निकटतम रिश्तेदार का भी था, जिसे विद्युत कनेक्शन के कारण तोडा नहीं जा सका था, बाद में उसे भी धराशायी किया गया था।
बहाना एम्पावर्ड तो कोरम कहां!
इस मामले कोई शिकायत जाने पर उपखण्ड अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई इन पटटों की जांच कर रहे हैं। नगर परिषद इन्हें दलील दे रही है कि इनका प्रस्ताव दो साल पहले प्रशासन शहरों के संग अभियान में बनाई गई एम्पावर्ड कमेटी में ले लिया गया था। लेकिन जिस एम्पावर्ड कमेटी की दलील नगर परिषद दे रही है उसका तो कोरम ही पूरा नहीं था। ऐसे में प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत बनाए गए नियमों की पालना ही नहीं होती है इसमें।
इसके अनुसार एम्पावर्ड कमेटी में निकाय का प्रमुख, निकाय के अधिशासी अधिकारी सचिव तथा निकाय के वरिष्ठतम इंजीनियर व नगर नियोजक सदस्य थे। निकाय प्रमुख का बैठने की मौजूदगी अनिवार्यता सरकार ने खतम कर दी थी। ऐसे में इस बैठक में दोनों सरकारी कार्मिकों की मौजूदगी प्रमुख थी और इनकी सहमति ही कोरम पूर्ति थी। जिस बैठक में इन पटटों को जारी करने की बात कही गई थी, उसमें मात्र सभापति और आयुक्त ही थे। वरिष्ठ इंजीनियर और नगर नियोजक इस बैठक में मौजूद नहीं थे। ऐेसे में बैठक का कोरम ही पूरा नहीं हो रहा था। सभी तकनीकी जानकारियां उन्हीं को देनी थी।
लताडकर निकाला था एक जनप्रतिनिधि को
जिस बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था, उस समय में वरिष्ठ अभियंता और नगर नियोजक के पद पर अवधेश दूबे नगर परिषद में तैनात थे। उन्हेांने खसरा संख्या 1218 के मुददे पर एम्पावर्ड कमेटी की प्रोसिडिंग पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था।
इससे खफा होकर इस जमीन के सौदे में सबसे ज्यादा रुचि लेने वाला एक जनप्रतिनिधि उनके चैम्बर में जाकर उनके हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर बहस करने लगा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस पर दूबे ने उस जनप्रतिनिधि को जबरदस्त तरीके से लताडकर चैम्बर से बाहर कर दिया था।
सवाल जो मांग रहे जवाब
– यदि खसरा संख्या 1218 के मामले में कोई अनियमितता नहीं थी तो किस आधार पर उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाया
-उस सवाल के जवाब की किस तरह से तस्दीक की।
– सवाल उठाने से लेकर अब तक में ऐसा क्या हो गया जिससे यह पटटे निकल गए।
– यह पटटे सही तरीके से जारी हुए थे तो कांग्रेस के बोर्ड के समय में विधानसभा में सवाल उठाने का औचित्य क्या था।
– सवाल उठाया तो उसका फाॅलोअप क्यों नहीं दिया, यदि दिया है तो फिर उसका परिणाम क्या आया है।
– जनहित में उठाए जाने वाले सवालों को तत्कालीन विधायक ने सिर्फ औपचारिकता समझकर उठाया था या फिर इसके पीछे भ्रष्टाचार रोकने की उनकी मंशा थी।
ओटाराम देवासी की ओर से विधानसभा मे पूछा गया प्रश्न-
एम्पावर्ड के रिव्यू का हवाला….
खसरा संख्या 1218 के 13 पटटों की जांच मै कर रहा हूं। नगर परिषद इसमें एम्पावर्ड कमेटी में लिए गए निर्णय को रिव्यू करने का हवाला दे रही है। उसके कोरम की भी जानकारी करेंगे।
ओमप्रकाश विश्नोई
उपखण्ड अधिकारी, सिरोही।
इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है कि पटटे निकले या नहीं। अभी जयपुर हूं, जानकारी करके आपको बता पाउंगा।
ओटाराम देवासी
पशुपालन एवं देवस्थान राज्यमंत्री
राजस्थान सरकार।
मैंने अभी तक उस एम्पोकेरद कमिटी की प्रोसिडिंग पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। मेरे हस्ताक्षर के बिना कोरम पूरा तो नहीं होता। फिर न जाने कैसे इन लोगों ने पट्टे जारी किये होंगे।
अवधेश दूबे
तत्कालीन ए ई एन
नगर परिषद्,सिरोही।