सीकर। हारे का सहारा प्रभु श्याम हमारा… इस श्रद्धा के साथ खाटूधाम में आने वाले लाखों श्याम भक्तों को जिला प्रशासन ने इस बार के फाल्गुनी मेले की व्यवस्था व कानूनी दांवपेचों में उलझा कर रख दिया है।
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से सुकून के साथ साथ श्रद्धा समर्पित कर प्रभु श्याम से मन्नतें मांगने आने वाले भक्तों की धार्मिक भावनाओं को दरकिनार कर जिला प्रशासन ने प्रभु श्याम के फाल्गुनी लक्खी मेले के दौरान तरह तरह की अड़चने खड़ी कर दी है।
जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा व कानून के नाम पर खड़ी की गई अड़चनों के कारण मनौती पूर्ण होने पर ना तो भक्त प्रभु श्याम के चरणों में पेटपलायन के साथ नारियल समर्पित कर सकेंगे और ना ही भक्तों की ओर से चलाए जाने वाले भण्डारे मेला परिक्षेत्र में संचालित हो सकेंगे।
इन सबके बीच जिला प्रशासन ने तो श्याम भक्तों पर कुठाराधात तो इस आदेश के साथ ही कर दिया कि उनकी ओर से श्याम दरबार में पेश की जाने वाली मनौती की ध्वजा भी सीमित उंचाई की ही होगी।
महाभारत कालीन योद्धा बरबरीक की ओर से भगवान कृष्ण के निवेदन पर अपने शीश का दान कर भगवान कृष्ण से कलयुग में पूजित होने तथा भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का वरदान प्राप्त किया गया था।
जिले के खाटू ग्राम में स्थापित मंदिर में बर्बरीक के शीश की पूजा भक्तों की ओर से मथुरा में स्थित भगवान कृष्ण के मंदिर के मानिद पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है।
प्रत्येक मास भरने वाले मेले के अलावा फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी से धुलंडी तक पांच दिन तक भरने वाले बड़े मेले में देश विदेश से परिवार सहित आने वाले लाखों भक्त प्रभु श्याम के साथ भक्ति के साथ क्रीड़ाओं में अपने आप को समर्पित कर देते हैं।
इस दौरान भक्तों को अपने जीवन के परमानन्द की प्राप्ति होती है। कोई इसके लिए भण्डारें लगा भगवान का भोग बांटता है तो कोई रास क्रीड़ाओं में परिवार सहित तल्लीन हो जाता है। भक्तों की श्रद्धा का किसी से कोई सरोकार नहीं रहता केवल भगवान कृष्ण में तल्लीन होकर अपने जीवन में सुखमय आनन्द लेते हैं।
खाटू ग्राम के साथ किलोमीटरों तक स्थित दो सौ धर्मशालाओं व होटलों के साथ साथ खुले में अस्थाई आवास में स्थाई आवास करने वालों के साथ साथ मेला अवधि के दौरान प्रतिदिन श्याम दर्शनार्थ आने वाले भक्तों का आंकड़ा बीस लाख से भी अधिक होता है।
मेले के दौरान राजस्व ग्राम खाटू में स्थित विहंगम धर्मशालाओं में निशुल्क भण्डारे व आस पास के खाली मैदानों में अस्थाई स्थापित डेरों में पकवानों का अनवरत वितरण किया जाता है। साथ ही चौबीस धण्टे प्रभु श्याम धुने व भजन समूचे क्षेत्र में गुंजायमान रहते हैं। रात्रि में आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों के साथ साथ प्रख्यात भजन गायक अपने मनोरम धुनों पर प्रस्तुतिया देते है।
खाटू ग्राम में मेले के दौरान कृष्ण जन्माष्टमी पर बृजभूमि में होने वाले भक्तिमय माहौल का दैविक सुख भक्तों को आनंदित करने के साथ ही सांसारिक परेशानियों में राहत का संचार करता है। इस अलौकिक माहौल में वर्षो से भक्त ही भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के साथ अपने को अपने मनोभाव के साथ समर्पित करते रहे हैं।
जिला प्रशासन की दखल मेले के दौरान सुरक्षा तक ही सीमित रही है जिससे इस श्याम नगरी में होली व धुलण्डी भी भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण के साथ खेल रास रचाते है।
हाल ही में सीकर जिला प्रशासन की ओर से मेला संचालन समिति की बैठक में भक्तों के मनोभावों को जाने बिना एवं श्याम मंदिर कमेटी को प्रभावित कर मनमाने आदेश जारी कर दिए है।
जिला प्रशासन के आदेशों ने श्याम भक्तों को मेले के दौरान भक्ति के उन्मुक्त माहौल देने की बजाया गौशाला की चारदीवारी में केन्द्रीत कर दिया है।
जिला प्रशासन के आदेश है कि श्याम मंदिर से किलोमीटर की दूरी तक कोई भण्डारा नहीं होगा, रींगस सहित अन्य मार्गो से भी कोई भक्त पेटपलायन नहीं आएगा, ध्वनि विस्तारक यंत्र सीमित समय तक ही रहेंगे, धर्मशालाओं की प्रशासनिक अधिकारी नियमित जांच करेंगे कि कोई भक्त कहां से आया है उसके पास क्या प्रमाणपत्र है।
खुले में अथवा कहीं पर डेरा जमाए श्याम भक्तों का परिवार घरेलू गैस सिलेण्डर पर चाय बनाते पाया गया तो सख्त कानूनी कार्रवाई होगी तथा फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की बारस के दौरान प्रभु श्याम के मुख्य दर्शन के लिए कतारबद्ध होने वाले लाखों भक्तों को पानी भी केवल श्याम परिवार ही वितरित करेगा।
प्रशासनिक कार्रवाई की हद तो तब हो गई कि वर्ष पर्यन्त इस सुखद अवसर का इंतजार करने वाले स्थानीय लोगों पर हथौड़ा चलने लगा। जिला कलक्टर के निर्देश पर प्रशासनिक अमले ने श्याम नगरी की बसावट के साथ बनी एक एक दुकान व धर्मशाला के कागजात इस कदर सख्ती से देखने आरंभ कर दिए मानों वह अभी बनी हो।
ना किसी ने निवेदन सुना ना प्रभुश्याम में आस्था की दलील। प्रशासन की जेसीबी चली और पानी निकासी की नालियों तक को उखाड़ दिया गया। पीडि़त व्यवसाई व वाशिन्दे कहते रहे कि हमें इस तरह की तानाशाही कार्रवाई का कभी सामना नहीं करना पड़ा। ना ग्राम पंचायत खाटू की ओर से कभी कोई कागजातों की कमी की सूचना दी गई और ना ही जिला प्रशासन की ओर से।