नई दिल्ली। दिल्ली के नई सीमापुरी से साल 2010 में लापता हुआ सोनू गुरुवार दोपहर ढाका से दिल्ली पहुंचा। बांग्लादेश के रहने वाले जमाल इब्नमूसा वह शख्स हैं, जिन्होंने सोनू को घर भेजने के लिए प्रयास किया। उनकी बदौलत आज वह स्वदेश लौट आया।
छह साल बाद लाडले को पाकर घर में खुशी का माहौल है, जैसे ईद पर ऊपरवाले ने उस परिवार को शानदार ईदी दी है। करीब छह साल पहले दिल्ली के नई सीमापुरी से लापता हुआ सोनू गुरुवार को बांग्लादेश से दिल्ली पहुंचा। जब सोनू गायब हुआ था तो उसकी उम्र छह साल थी।
तीन साल तक खोजबीन के बाद जब वह नहीं मिला तो वर्ष 2013 में उसकी गुमशुदगी की फाइल बंद कर दी गई। मई 2016 में बांग्लादेश के एक शेल्टर होम में सोनू के होने की जानकारी मिली तब जून 2016 में विदेश मंत्रालय ने संज्ञान लेकर डीएनए का मिलान कराया।
सोनू के पिता महबूब ने कहा कि उनको उनका बेटा मिल गया है। अब वह काफी खुश हैं। वह सुषमा स्वराज जी को धन्यवाद देते हैं।सोनू के पिता महमूद गैराज चलाते हैं, जबकि मां मुमताज गृहिणी हैं। उसके दो भाई और एक बहन है, जो उससे छोटे हैं।
मां मुमताज के लिए ख़ुशी की बात है कि छह साल बाद एक मां को उसका बेटा वापस मिल रहा है। उन्होंने बताया कि महमूद के मुताबिक 2010 में एक महिला से विवाद के बाद उनका बेटा लापता हो गया था। सोनू का परिवार न्यू सीमापुरी की जामा मस्जिद वाली रोड पर स्थित ई-44 ए 103 नंबर के मकान में रहता है।
सोनू की वापसी बांग्लादेश के रहने वाले जमाल इब्नमूसा के चलते हो पाई है। एक निजी कंपनी में काम करने वाले जमाल की एक दिन सोनू से मुलाकात हुई तो उसने अपने साथ हो रहे जुल्म की जानकारी दी। जमाल ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने जमाल को ही जेल भेज दिया।
जेल से बाहर आने के बाद जमाल ने दोबारा पुलिस में शिकायत की। इस बार पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर सोनू को बालगृह भेज दिया। कोर्ट ने फैसला दिया कि सोनू के परिजन उसे ले जाएं।
मामले के मीडिया में आने के बाद विदेश मंत्रालय ने संज्ञान लिया। इधर, जमाल ने दिल्ली आकर सोनू के पिता महमूद को जानकारी दी। दिल्ली पुलिस का कहना है कि मई, 2010 में सोनू की गुमशुदगी की रिपोर्ट यमुना विहार थाने में दर्ज हुई थी।
जांच के बाद मामला जिला स्तर पर डीआईओ में चल रहा था। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद फिरौती के लिए एक महिला ने कॉल की थी। तीन साल तक कोई सुराग न मिलने पर फाइल बंद कर दी गई थी।