सबगुरु न्यूज-सिरोही। अतिवृष्टि के बाद सिरोही के कालका तालाब के आखेलाव टैंक से कथित रूप से अशुद्ध पेयजल वितरित करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर यूं ही दर्ज नहीं हो सकती। भाजपा मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी के द्वारा सिरोही कोतवाली में दी गई एफआईआर को दर्ज किए जाने के लिए गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी को राज्य सरकार से अनुमति लेकर आनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के 2013 के आदेशानुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी पर जांच और रिपोर्ट दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति ली जानी आवश्यक है। वैसे सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रिवेंशन आॅफ करेप्शन एक्ट के लिए है, लेकिन सिरोही पुलिस इस मामले में भी इसी की पालना करते हुए एफआईआर दर्ज नहीं कर पाने की मजबूरी बता रही है।
-क्या है आदेश के अनुसार
वैसे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएस राधाकृष्णन और एके सीकरी की बैंच ने जो आदेश दिया है उसके तहत भ्रष्टाचार के मामले में कोई भी मजिस्ट्रेट किसी राज्य कार्मिक के खिलाफ सीधे जांच के आदेश नहीं दे सकता है। कोतवाली पुलिस इसी आदेश का हवाला देते हुए भाजपा सिरोही मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी की ओर से सिरोही कोतवाली में सिरोही शहर की जनता को कथित गंदा पानी सप्लाई करके स्वास्थ्य के खिलवाड करने के परिवाद को एफआईआर के रूप में दर्ज नहीं कर रही है।
इतना ही नहीं 156-3 के तहत कोई मजिस्ट्रेट सीधे जांच करने के आदेश नहीं दे सकता। इस आदेश के बाद नोटबंदी के दूसरे दिन 9 नवम्बर को केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए यह नियम लागू कर दिया। वहीं राज्य सरकारों ने भी इसके अनुसार सीआपीसी मंे बदलाव किया।
-क्या करना होगा मंत्री देवासी को
सबसे पहले तो इस सिरोही मंडल अध्यक्ष द्वारा दी गई एफआईआर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की संज्ञा में आने की जांच करनी होगी। यदि वाकई यह उस श्रेणी में आती है तो सिरोही के विधायक ओटाराम देवासी को सिरोही शहर में कथित गंदला पानी वितरित करने के मामले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से आदेश करवाने होंगे। इसके बाद सिरोही कोतवाली में इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर हो सकेगी।
अब यह गेंद मंत्री ओटाराम देवासी के पाले में है कि वह किस तरह से राज्य सरकार से अनुमति लाकर सिरोही शहर के हजारों लोगों में कालका तालाब का सतही पानी सप्लाई करने के कथित दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करवा सकती है और किस तरह से पीएचईडी के एसई के द्वारा भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी समेत अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज राजकार्य में बाधा का प्रकरण विड्राॅ करवा पाते हैं।