कोलकाता। रॉबिन्सन से भूत बंगले के कंकाल कांड कहानी तो लोगों को याद ही होगी। उस कांड में एकलौते जिंदी बचे व्यक्ति पार्थ दे ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली है। उसका शव पोर्ट इलाके के वाटगंज के एक फ्लैट से बरामद किया गया है।
पुलिस सूत्रों से घटना के बारे में जानकारी मिली है कि मंगलवार की दोपहर जब 15 वाटगंज स्ट्रीट के मर्लिन वेव्स फ्लैट के 11ई में जब सर्वेंट काम करने पहुंचा तो उसने घर के अंदर पार्थ को नहीं देखा। जब सफाई कर्मी बाथरूम में पहुंचा तो उसने पार्थ दे को जली हुई हालत में वहां पड़ा देखा। उसके शव के पास पेट्रोल की आधी भरी बोतल व माचिस की डिब्बी भी मिली।
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स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद तत्काल वाटगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची व शव को निकालकर एसएसकेएम अस्पताल में पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्राथमिक जांच में पता चला है कि उसने खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली है।
वह उक्त कमरे में अकेले ही रहता था। पुलिस ने उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस की ओर से बताया गया है कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा कि उसने कब आत्महत्या की है।
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उल्लेखनीय है कि उसके पिता अरबिंद दे ने भी आग लगाकर ही आत्महत्या की थी। उसके पिता की लाश भी बाथरूम में बरामद हुई थी और उसका दरवाजा अंदर से बंद था| दरअसल पार्थ तब चर्चा में आया था जब राबिन्सन स्ट्रीट के आलीशान बंगले में जून 2015 में उसके पिता का जला हुआ शव पुलिस ने घर से बरामद किया था।
जांच के बाद पता चला था कि पार्थ वहां अपनी बहन के कंकाल के साथ पिछले 6 महीने से रह रहा था। उसकी बहन की मौत दिसम्बर 2014 में हुई थी लेकिन उसने अपनी बहन का अंतिम संस्कार करने के वजाय वह शव के साथ एक ही बिस्तर पर रह रहा था। इतना ही नहीं बहन की मौत के बाद मरे कुत्ते को भी वह वहीं नीचे रखा था।
वर्ष 2015 में जब पूर्व टीसीएस कर्मचारी पार्थ दे की अपनी बहन के प्रति पागलपन जब पुलिस के सामने आई थी तो सबके होश उड़ गए थे। 46 साल का पार्थ दे टीसीएस में काम करते थे। अपनी मां की मौत के बाद उन्होंने यह जॉब छोड़ दी।
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उनकी बहन उनके साथ रहती थी, जो नामी स्कूल में टीचर थी। बहन देबजानी को अपने 2 कुत्तों से बहुत प्यार था, लेकिन जब उन दोनों की मौत हो गई तो शोक में आकर बहन ने भी खाना-पीना छोड़ दिया। जिसके कारण दिसंबर 2014 में उनकी बहन की मौत हो गई।
बहन के प्यार में पागल हुए पार्थ ने मौत के बावजूद देबजानी की अंतम संस्कार नहीं किया था और उसे अपने घर में रखे रहा। वो घर में बहन और 2 कुत्तों के कंकाल के साथ रहता था। वो रोज रात को अपनी बहन के शव को खाना खिलाता। छह महीने से वह यहीं करता रहा था।
बाद में पुलिस ने उसे मानसिक अस्पताल में भर्ती करवाया था जहां उसने दावा किया था कि रोज रात उसकी बहन की आत्मा वहां आती थी और दोनों साथ-साथ खाना खाते थे। बाद में अस्पताल में इलाज के बाद उसे पूरी तरह से मानसिक रूप से स्वस्थ्य घोषित कर अस्पताल से छोड़ दिया गया था और अकेले नहीं रखने की सलाह दी थी लेकिन वाटगंज के उक्त फ्लैट में भी वह अकेले ही रहता था।
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