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मेरे लिए मुख्यधारा का सिनेमा महत्वपूर्ण नहीं रहा : कोंकणा सेन शर्मा - Sabguru News
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मेरे लिए मुख्यधारा का सिनेमा महत्वपूर्ण नहीं रहा : कोंकणा सेन शर्मा

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मेरे लिए मुख्यधारा का सिनेमा महत्वपूर्ण नहीं रहा : कोंकणा सेन शर्मा
Konkona Sen Sharma says Mainstream films not important for me
Konkona Sen Sharma says Mainstream films not important for me
Konkona Sen Sharma says Mainstream films not important for me

नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा के करियर में मुख्यधारा का सिनेमा ही मुख्य आधार नहीं रहा है। उन्होंने इससे उलट अलग-अलग तरह की फिल्में की हैं। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘अ डेथ इन द गंज’ जल्द ही देखने को मिलेगी। कोंकणा कहती हैं कि उन्हें लीक से हटकर कुछ करना पसंद है।

कोंकणा बांग्ला अभिनेत्री, लेखिका व निर्देशक अपर्णा सेन और लेखक मुकुल शर्मा की बेटी हैं।कोंकणा ने अपने जीवन में अपनी मां के प्रभाव के बारे में बताया कि मेरी मां ने अपनी शर्तों पर जीवन जिया है। जिस काम पर वह विश्वास करती हैं, उसे उन्होंने किया, उनके जीवन मूल्यों और उदारवाद.. इन सभी का मेरे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है। वह 1980 के दशक में फिल्म बनाने वाली अग्रणी महिलाओं में से एक रहीं। वह हमेशा समय से आगे चली हैं।

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उन्होंने कहा कि वह इस बात का खास खयाल रखती थीं कि मैं क्या पढ़ रही हूं और क्या देख रही हूं। मुझे पढ़ने बेहद शौक था और आप जानते हैं कि जब आप कम उम्र के होते हैं, तब आप एनिड ब्लायटन जैसे लेखकों को खूब पढ़ते हैं। लेकिन वह मुझसे कहती थीं ‘तुम सिर्फ यही सब नहीं पढ़ती रह सकती’ और मैंने उनकी बात सुनी और उन पर विश्वास किया।

कोंकणा ने बचपन में बहुत सारी हिंदी फिल्में नहीं देखीं लेकिन ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘मासूम’ जैसी कुछ फिल्मों से उनका साबका जरूर हुआ। इसके अलावा अपनी मां के साथ मिस्र और मास्को के फिल्म समारोहों के जरिए वैश्विक सिनेमा से रूबरू हुईं।

कोंकणा कहती हैं कि इंगमार बर्गमैन और सत्यजीत रे जैसे फिल्मकारों का उनके जीवन में अमिट प्रभाव रहा और यह लोग उनकी भारतीय फिल्म उद्योग में बड़ा स्थान हासिल करने की प्रेरणा रहे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह गैर-पारंपरिक सोच का परिणाम है।

‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’, ’15 पार्क एवेन्यू’, ‘पेज 3’, ‘द नेमसेक’, ‘वेक अप सिड’ और ‘गोयनार बक्शो’ जैसी फिल्मों में कोंकणा के काम को बहुत सराहा गया।

कोंकणा ‘ए डेथ इन द गंज’ से पहली बार निर्देशन में कदम रख रही हैं। दो जून को रिलीज हो रही यह फिल्म उनके पिता की एक लघुकथा पर आधारित है, जिसमें झारखंड के मैक्लुस्कीगंज में एक घर में हुई वास्तविक घटना को पर्दे पर उतारा गया है।

फिल्म के लिए कोंकणा मैक्लुस्कीगंज गईं। वह कहती हैं कि इसकी दुनिया का आकर्षण अभी भी बरकरार है, जिसने शूटिंग के अनुभव और भी अधिक रोमांचक बना दिया।

उन्होंने कहा कि फिल्म के लिए मैक्लुस्कीगंज का पुनर्निमाण बहुत मजेदार रहा। मुझे नहीं पता था कि उस समय की कोई अभिलेखीय जानकारी है क्योंकि वह एक दूरस्थ क्षेत्र है और बहुत अधिक विकसित भी नहीं है, इसलिए मैंने इस स्थान के बारे में जानने के लिए लोगों से बात की।