अजमेर। कान्हा के मथुरा में जन्म लेने पर रात्रि 12 बजे के बाद वासुदेव सूप में रखकर बालस्वरूप को कंस के कोप से बचाने के लिए यमुना पार कर गोकुल पहुंचे। तब तक यमुना विराट स्वरूप धारण किए हुए थी। रात्रि 12 बजे के बाद जैसे उदघोषण हुआ नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की।
भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी कही जाने वाली यमुना अपने प्रिय के चरणस्पर्श कर आनन्दित हो गई और जल उसी के साथ घटने लगा। ऐसी मान्यता पुरातन काल से चली आ रही है। कुछ ऐसे ही झणों की स्मृति की कल्पना के साथ अजमेर शहर के पंचशील स्थित गणेश गुवाडी में जन्माष्टमी के मौके पर सजाई गई झांकी में देखने को मिली।
यूं तो गणेश गुवाडी कोई पुरानी कॉलोनी नहीं है, लेकिन इस कॉलोनी की बसावट शुरू होने के साथ ही सबसे पहले तीन बत्ती चौराहे का नामकरण हुआ। इसी चौराहे पर बनाया गया गणेश मंदिर। यह गणेश मंदिर गणेश गुवाडी की पहचान बन गया। धार्मिक उत्सव और अन्य सामाजिक अवसरों पर कॉलोनी वासियों के एकत्र होने का स्थल बन गया।
गुरुवार को जन्माष्टमी का मौका एक बार फिर गणेश गुवाडी के लिए यादगार क्षण बन गया। तीन बत्ती चौराहे पर गणेश मंदिर के सामने सजाई गई झांकी यूं तो दिखने में सामान्य थी लेकिन इस झांकी के प्रति उमडा श्रद्धाभाव लोगों में देखते ही बनता था।
जन्माष्टमी पर कृष्ण जन्मस्थान के रूप में तब्दील हुए तीनबत्ती चौराहे पर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ रही। गणेश मंदिर पर सुबह से ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भजन संध्या के दौरान श्रद्धालु भावविभोर झूमते रहे।
दिन ढला, शाम हुई और फिर होने लगा रात 12 बजे का इंतजार। घडी की सुईयां 12 पर पहुंचते ही ढोल नगाडों और घंटी की गूंज सुनाई पडी। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गूंज का उदघोषण होने लगा। देखते ही देखते समूचा वातावरण कृष्णमय हो गया। आरती, प्रसाद और एक दूसरे बधाई देने का सिलसिला चल पडा।