नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को कहा कि इस्लामाबाद के विदेश कार्यालय में जाधव और उनकी मां व पत्नी के बीच मुलाकात से पहले दोनों महिलाओं को मंगलसूत्र, चूड़ियां और बिदी तक उतारनी पड़ीं और यहां तक कि उन्हें अपने पोशाक भी बदलने पड़े।
भारत ने इस मुलाकात में विश्वसनीयता का अभाव बताया और कहा कि यह भयभीत करने वाला था। पाकिस्तान में कथित रूप से जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रहे कुलभूषण जाधव ने 22 माह बाद अपनी मां अवंति और पत्नी चेतनकुल से मुलाकात की। दोनों पक्षों के बीच शीशे की दीवार थी और इंटरकॉम के जरिए बातचीत हुई।
जाधव की मां (70) को उनकी मातृभाषा में अपने बेटे से बात नहीं करने दी गई। जब वह मराठी में बात करने की कोशिश करतीं, तो उन्हें रोक दिया जाता और हिंदी अथवा अंग्रेजी में बात करने के लिए कहा जाता। पाकिस्तान में भारत डेस्क का एक शीर्ष अधिकारी इस बातचीत पर नजर रखे हुए था।
भारत ने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा कारणों का हवाला देकर, परिजनों की सांस्कृतिक व धार्मिक संवेदनशीलता पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्हें मंगलसूत्र, चूड़ियां, और बिंदी तक उतारनी पड़ी और यहां तक कि अपने पोशाक भी बदलने पडी।
बयान के अनुसार जाधव की मां को उनके मातृभाषा में बात नहीं करने दी, जबकि यह संचार का सहज माध्यम है। ऐसा करने पर उन्हें लगातार रोका गया और इसे आगे नहीं दोहराने के लिए कहा गया। जाधव की पत्नी के जूते भी ले लिए गए और उसे बाद में नहीं लौटाया गया।
भारत ने कहा कि कुछ असाधारण कारणों से, उनके बार-बार आग्रह करने के बावजूद, मुलाकात के बाद जाधव की पत्नी के जूते नहीं लौटाए गए। इस पर भारत ने कहा कि इस संबंध में हम किसी भी शरारती मंशा के खिलाफ पाकिस्तान को चेतावनी देते हैं।
बयान के अनुसार कई मौकों पर पाकिस्तानी मीडिया को जाधव के परिजनों के करीब आने का मौका दिया गया और उन लोगों ने उन्हें परेशान किया और जाधव पर झूठे आरोप लगाए। यह स्पष्ट रूप से उस समझौते के बाद किया गया कि मीडिया को उन लोगों के करीब नहीं आने दिया जाएगा।
भारत के उपउच्चायुक्त जेपी सिंह जाधव के परिजनों के साथ थे, लेकिन मुलाकात के वक्त उन्हें शीशे की दीवार के एक तरफ कर दिया गया, जहां से वह सिर्फ बातचीत देख सकते थे। शुरुआत में उन्हें मुलाकात स्थल तक जाने की इजाजत नहीं दी गई।
बयान के अनुसार उपउच्चायुक्त को सूचित किए बिना जाधव के परिजनों को जाधव से मिलाने ले जाया गया। मुलाकात बिना उनके इजाजत के शुरू करवा दी गई। यह मुलाकात बिना उनकी उपस्थिति के शुरू हुई और संबंधित अधिकारियों के पास अपना पक्ष रखने के बाद उन्हें मुलाकात स्थल जाने की इजाजत दी गई। उसके बावजूद वह बातचीत में शामिल नहीं हो सके और शीशे की दीवार के पार उन्होंने बस इस मुलाकात को देखा।
बयान में यह भी कहा गया है कि मुलाकात से प्राप्त फीडबैक के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि जाधव काफी दबाव में थे और तनाव की स्थिति में बात कर रहे थे। जाधव की अधिकतर टिप्पणी स्पष्ट तौर पर सिखाई हुई और पाकिस्तान में कथित रूप से उनकी संदिग्ध गतिविधि पर आधारित थी। मुलाकात के दौरान उनकी उपस्थिति से उनके स्वास्थ्य पर सवाल उठ रहे हैं।
भारत ने कहा कि आश्वासन के विपरीत, जहां तक जाधव के परिजनों का सवाल है, पूरा माहौल डरावना था। परिजनों ने हालांकि काफी साहस और ढृढ़ता के साथ स्थिति का सामना किया।
बयान के अनुसार जिस तरह से मुलाकात करवाई गई और उसके बाद की स्थिति पूरी तरह से कथित तौर पर जाधव पर फर्जी कहानी गढ़ने का प्रयास था। आप सभी सहमत होंगे कि इस पहल में विश्वसनीयता का अभाव था।
बयान के अनुसार यह मुलाकात जाधव को परिजनों से मिलने देने के आग्रह के बाद करवाई गई है और मुलाकात से पहले दोनों तरफ की सरकारें इसके लिए राजनयिक माध्यम से इसके तौर-तरीके और प्रारूप पर चर्चा की थीं। दोनों तरफ से इस मामले पर स्पष्ट समझ थी और भारतीय पक्ष ने अपनी पूरी प्रतिबद्धता निभाई।
बयान के अनुसार हमने हालांकि महसूस किया कि उनकी मां और पत्नी को जिस तरीके से मुलाकात कराई गई, वह मुलाकात को लेकर हमारे बीच बनी आपसी समझ का सरासर उल्लंघन है।
दोनों महिलाएं मुलाकात के बात सोमवार शाम पाकिस्तान से रवाना हो गईं और यहां सुबह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिलीं। उनके साथ विदेश सचिव एस.जयशंकर और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार मौजूद थे।
मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने अपने प्रोपेगंडा के तहत एक वीडियो जारी किया, जिसमें जाधव को उनकी पत्नी व मां से मिलने देने के लिए धन्यवाद देते हुए दिखाया गया है।
वीडियो में जाधव को यह कहते हुए दिखाया गया है कि मैंने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम किया और ईरान के रास्ते पाकिस्तान आया। जाधव ने यह भी कहा कि उन्हें पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया है।
जाधव (47) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी व आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। भारत ने इस फैसले के विरुद्ध मई में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की थी, जहां जाधव की फांसी पर रोक लगा दी गई है।
भारत कहता रहा है कि जाधव निर्दोष हैं और भारतीय नौसेना से रिटायर होने के बाद वह व्यापार के सिलसिले मे ईरान गए थे, जहां से उन्हें गिरफ्तार किया गया।