अलवर। फैक्ट्रियों व दुकानों की तरह अब घरों में काम करने वाले श्रमिकों पर भी श्रम कानून लागू होंगे। श्रम विभाग ने घरों में काम करने वाले श्रमिकों की प्रतिदिन एक घंटे काम करने की मजदूरी तय कर दी है।
यदि घर के सदस्यों की संख्या 4 से अधिक है तो मजदूरी भी अधिक देनी होगी। श्रम विभाग ने पहले से ही न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू कर रखा है जिसकी पालना नहीं की जा रही है। घरों में बर्तन धोने, साफ—सफाई और अन्य घरेलू कार्यों के लिए प्रतिदिन एक घंटे काम करने के आधार पर प्रतिमाह की मजदूरी तय की गई है।
यदि कोई नियोजक इस कानून का उल्लंघन करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। न्यूनतम मजदूरी अधिनियिम, 1948 की धारा 5 की उप.धारा (1) के खंड (ख) में यह नया प्रावधान जोड़ा गया है।
न्यूनतम मजदूरी नहीं देने पर निर्धारित वेतनमान से कम दी गई राशि की 20 गुना पेनल्टी वसूली का प्रावधान है। यह नया प्रावधान 1 जनवरी 2016 से लागू माना जाएगा।
श्रम विभाग के नए प्रावधान में घरेलू श्रमिक के कार्य की अवधि 60 मिनट से अधिक होने पर मजदूरी बढ़ी हुई देनी होगी। इसी प्रकार एक दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकेगा। यदि परिवार के सदस्यों की संख्या 4 से अधिक है तो निर्धारित वेतन से 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी देनी होगी।
बर्तन धोने और कपड़े धोने का कार्य-काम की अवधि- 60 मिनट- प्रतिमाह 705 रुपए। कपड़े धोनेए घर की सार.सफाई और दिन भर अन्य कार्य करना. प्रतिमाह 5642 रुपए।
जितेन्द्र खट्टर उप श्रम आयुक्त अलवर ने बताया कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के नए प्रावधान के अनुसार यदि कोई नियोक्ता घर में काम करने वाले श्रमिक को निर्धारित वेतन से राशि कम दे रहे हैं तो उनसे 20 प्रतिशत जुर्माना वसूल कर श्रमिक को दिया जाएगा।