ढाका। बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय परिसर से शुक्रवार को ‘लेडी जस्टिस’ की मूर्ति धार्मिक कट्टरपंथियोंके कड़े विरोध के कारण हटा दी गई।
कट्टरपंथियों का मानना है कि यह मूर्ति ग्रीक की देवी थेमिस का एक दूसरा रूप है और साड़ी पहने हुई है, जो इस्लाम धर्म के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा कि तलवार और न्याय के तराजू को अपने हाथों में पकड़े इस मूर्ति का निर्माण दिसंबर, 2016 में किया गया था। इस्लाम में मूर्तिपूजा मना है।
लेकिन मूर्तिकार मृणाल हक ने कहा कि यह ग्रीक की देवी की मूर्ति नहीं थी, बल्कि एक बंगाली महिला की मूर्ति थी।
विरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मूर्ति को हटाने संबंधी अपनी स्वीकृति अप्रेल में ही दे दी थी।
मूर्ति हटाने की स्वीकृति देने के बाद हो रही आलोचना पर हसीना ने कहा कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा से पूछा है कि मूर्ति में ग्रीक की देवी को साड़ी पहनी हुई क्यों दिखाया गया है?
उन्होंने पूछा कि इसे क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए? क्या वे नहीं देखते कि यह ग्रीक की देवी नहीं लगती। यह आधी ग्रीक आधी बंगालन है। यानी अब यह ग्रीक-बंगाली है। क्या वे इस पर गौर नहीं कर रहे?
अधिकारियों ने बताया कि मूर्ति को हटाने का कार्य गुरुवार को लगभग 9 बजे रात में किया गया था और इसे पूरी तरह नष्ट करने में तीन घंटे लगे।
सर्वोच्च न्यायालय के सामने लगी इस मूर्ति को हटाए जाने के विरोध में शुक्रवार को अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठन गणजागरण मोर्चा के 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए, जिनमें ज्यादातर छात्र शामिल थे।