लखनऊ/लखीमपुर। उत्तर प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे खोखले साबित हो रहे है। लखीमपुर जिला अस्पताल में शुक्रवार को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है।
बेटी की मौत के बाद लाश ले जाने के लिए उसका पिता घण्टों डाक्टरों के सामने मदद की गुहार लगाता रहा लेकिन उसकी किसी ने एक न सुनी। अंततः उसे भीख मांगकर कफन खरीदना पड़ा। तब जाकर उसने बेटी का अंतिम संस्कार किया।
लखीमपुर मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर तहसील मितौली का निवासी रमेश अपनी बेटी को तेज बुखार के कारण जिला अस्पताल लेकर आया था। जब तक वह अस्पताल पहुंचा तो डाक्टरों ने उसे मृत घोषित किया।
बेटी की लाश को घर ले जाने के लिए रमेश के पास पैसे नहीं थे। वह डॉक्टरों के सामने मदद के लिए गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन किसी ने न सुनी। तब वह बेटी का शव सड़क पर रखकर भीख मांगने लगा। जब उसके पास पर्याप्त पैसे इकटठा हो गए तब वह बेटी का शव घर ले जाया पाया और उसी से कफन खरीदकर बेटी को दफनाया।
रमेश ने बताया कि बेटी की मौत के बाद पूरा परिवार दुःखी है। पत्नी अंधी है। तीन बेटियों में अंजलि ही सबसे बड़ी थी। अंधी मां और दोनों बहनों की देखभाल करती थी। रमेश के अनुसार उसके पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है। न ही उसका राशन कार्ड बना है। सरकार से उसे कोई मदद नहीं मिली।
लखीमपुर एएसपी दीपेन्द्र नाथ चौधरी ने कहा कि घटना दुखद है। शव को घर तक भेजने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग को करनी चाहिए थी। इस मामले की जांच की जाएगी।