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चलिए कौवे एंव मोर की लड़ाई से कुछ हम भी सीख लें - Sabguru News
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चलिए कौवे एंव मोर की लड़ाई से कुछ हम भी सीख लें

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चलिए कौवे एंव मोर की लड़ाई से कुछ हम भी सीख लें
Learn from the Crows and Peacocks
Learn from the Crows and Peacocks
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अपनी -अपनी जगह पे सब का अपना मोल होता हैं पर जब बात कर्म-धर्म की आती है तो बड़ा छोटा हो जाता हैं और छोटा बड़ा हो जाता हैं अपने कर्मो एवं धर्म से, जी हाँ आज हम इस दो पक्षियों की  कहानी के माध्यम से बताते हैं की ‘असली सुंदरता हमारे अच्छे कार्यों से आती है’

Learn from the Crows and Peacocks
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एक बार कौवा सोचने लगा कि पक्षियों में, मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूं। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है, न ही मेरे पंख सुंदर हैं। मैं काला हूं। ऐसा सोचने से उसके अंदर हीन भावना घर करने लगी और वह दुखी रहने लगा। एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा।

कौवे ने कहा- ‘तुम कितने सुंदर हो। मेरा तो जीना ही बेकार है।’ बगुला बोला- ‘दोस्त मैं कहां सुंदर हूं। मैं जब तोते को देखता हूं, तो यही सोचता हूं कि मेरे पास हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है।’

अब कौए में सुंदरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। वह तोते के पास गया। बोला- ‘तुम इतने सुंदर हो, तुम तो बहुत खुश रहते होगे?’ तोता बोला- खुश तो था, लेकिन जब मैंने मोर को देखा, तब से बहुत दुखी हूं, क्योंकि वह बहुत सुंदर होता है।

कौवा मोर को ढूंढ़ने लगा, लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला। जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोर चिडि़याघर वाले पकड़ कर ले गए हैं। कौवा चिडि़याघर गया, वहां एक पिंजरे में बंद मोर से जब उसकी सुंदरता की बात की, तो मोर रोने लगा।

रोते-रोते बोला- ‘शुक्र मनाओ कि तुम सुंदर नहीं हो, तभी आजादी से घूम रहे हो, वरना मेरी तरह किसी पिंजरे में बंद होते।’

संक्षेप में:- दूसरों से तुलना करके दुखी होना बुद्धिमानी नहीं है। असली सुंदरता हमारे अच्छे कार्यों से आती है।

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