मुंबई। चार महिलाओं की जिंदगी और उनकी हसरतों को लेकर बनी फिल्म लिपिस्टिक अंडर माई बुरका को लेकर फिल्म के निर्माता प्रकाश झा और सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी के बीच तलवारें खिंच गई हैं और दोनों एक दूसरे के खिलाफ हमले बोल रहे हैं।
प्रकाश झा ने पहलाज निहलानी के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने इस फिल्म को भारत की कल्चर के खिलाफ बताते हुए कहा है कि देश की कल्चर की रक्षा करना सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी है।
प्रकाश झा ने इस बयान पर पहलाज निहलानी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन को कल्चर बचाने की जिम्मेदारी किसने दी।
पहलाज पर हमला करते हुए प्रकाश झा ने कहा है कि अगर सेंसर बोर्ड के चेयरमैन ये साबित करना चाहते हैं कि उनको कल्चर की चिंता है, तो वे गलत हैं। उनको ये अधिकार किसी ने नहीं दिया कि वे बाकी सबकी कल्चर की समझ को चुनौती देने का काम करें।
उन्होंने खुलकर कहा कि उन्होंने (पहलाज) जबसे ये कुर्सी संभाली है, वे हमारी फिल्मों को लगातार परेशान कर रहे हैं और दुख की बात ये है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा होने के बाद भी वे हमारी समस्याओं को बढ़ाने का काम लगातार करते आ रहे हैं।
प्रकाश झा ने कहा कि सेंसर बोर्ड कई ऐसी फिल्मों को पास कर चुका है, जिनको देखने में शर्म आई, लेकिन हमारी फिल्म को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि हमारी फिल्म को परेशान किया जा सकता है, लेकिन रोका नहीं जा सकता।
इस संकट से निकलकर हमारी फिल्म जल्दी ही रिलीज होगी। उधर, जवाबी हमले में पहलाज निहलानी भी कम नहीं रहे। उन्होंने प्रकाश झा को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे हमें नसीहत नहीं दे सकते कि हमें कैसे काम करना है।
पहलाज ने कहा कि वे (प्रकाश झा) बात का बतंगड़ बना रहे हैं। पहलाज का कहना है कि ये एक सामान्य प्रक्रिया है कि अगर फिल्म सेंसर से पास नहीं होती, तो निर्माता एपीलेट ट्रिब्यूनल तक जाता है। प्रकाश झा को इस प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा गया है, जिसमें उनको इतना परेशान होने की जरुरत नहीं होनी चाहिए।
फिल्म को सार्टिफिकेट न देने के सेंसर बोर्ड के फैसले की पैरवी करते हुए पहलाज ने कहा कि इस तरह के सेक्सुअल कटेंट को सेंसर से मंजूरी नहीं मिल सकती। उन्होंने कल्चर की रक्षा करने वाली दलील को लेकर भी साफ कहा कि ऐसा करके वे कोई गलती नहीं कर रहे हैं।
पहलाज ने इस फिल्म को लेकर प्रकाश झा के समर्थन में आगे आने वाले बॉलीवुड के निर्माताओं पर भी हमला बोला। उनका कहना था कि जिन लोगों ने ये फिल्म नहीं देखी, वे किस आधार पर सेंसर बोर्ड के फैसले को गलत कह सकते हैं।
फरहान अख्तर, राकेश मेहरा, सुधीर मिश्रा सहित कई बॉलीवुड के निर्माताओं ने प्रकाश झा का साथ देने की बात कहते हुए सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को बैन किए जाने के फैसले की आलोचना की थी।