इलाहाबाद। धर्माचार्यों के भारी विरोध के चलते निरंजनी अखाड़े ने बिल्डर सचिन दत्ता से संन्यासी बने सच्चिदानंद गिरि को महामंडलेश्वर के पद से बर्खास्त कर दिया है। गुरु पूर्णिमा (31 जुलाई) को उन्हें इलाहाबाद में एक भव्य समारोह में महामंडलेश्वर बनाया गया था।
निरंजनी अखाड़ा से जुड़े अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने गुरुवार को बताया कि संन्यास लेने के बाद भी सच्चिदानंद अपने आवास पर चले गए, यानी उनका अपने घर-परिवार से मोह भंग नहीं हुआ है। इसलिए उन्हें महामंडलेश्वर पद से बर्खास्त कर दिया गया है।
गुरु पूर्णिमा के अवसर इलाहाबाद (प्रयाग) स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में महंत नरेंद्र गिरि और अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने एक भव्य आयोजन के दौरान सच्चिदानंद गिरि का महामंडलेश्वर के पद पर पट्टाभिषेक किया था। उत्तर प्रदेश सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव और ओम प्रकाश भी इस आयोजन के साक्षी बने थे।
शराब का कारोबार छोड़कर सचिन दत्ता से संन्यासी बने सच्चिदानंद गिरि को महामंडलेश्वर बनाए जाते वक्त समारोह की भव्यता पर पानी की तरह पैसा बहाया गया था। तामझाम ऐसा कि पट्टाभिषेक कार्यक्रम में दो हेलीकाप्टरों से फूलों की बरसात कराई गई थी।
पट्टाभिषेक के बाद से ही सच्चिदानंद गिरि को महामंडलेश्वर पद दिए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया। संतों व धर्माचार्यों ने विरोध करना शुरू कर दिया था। महामंडलेश्वर पद की योग्यता को लेकर चारों तरफ से इतनी तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं कि अखाड़ा परिषद के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अयोध्या में हनुमानगढ़ी मठ से जुड़े महंत ज्ञानदास इस घटनाक्रम को लेकर आक्रोशित हो उठे।
इधर, सच्चिदानंद उर्फ सचिन दत्ता ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि विवाद को बढ़ते देख उन्होंने महामंडलेश्वर पद से खुद इस्तीफा दे दिया है।
विवादित सचिन दत्ता उर्फ महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि बुधवार देर रात नोएडा के सेक्टर-41 स्थित अपने घर लौट आए थे। उनके सचिव पंकज यादव ने मीडिया को बताया कि सच्चिदानंद अभी कुछ दिन नोएडा में ही रहेंगे।