हैदराबाद। सुपर स्टार शाहरूख खान ने युवा छात्रों से कहा कि वे अपने दिल की सुनें और वही करें जो वह करना चाहते हैं ताकि जीवन में आगे जाकर उन्हें अपने करियर को लेकर कोई अफसोस न हो।
उन्होंने कहा कि जब आप मेरी या अपने माता पिता की या अपने शिक्षक की उम्र के होंगे तो कहीं न कहीं यह मलाल होगा कि मैंने करियर के तौर पर वह क्यों नहीं किया। मैं हर लड़के और लड़की से सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि वही करो, जहां आपका दिल हो।
शाहरूख यहां मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत कर रहे थे जहां उन्हें उर्दू भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा गया।
अभिनेता ने अपने मरहूम पिता को याद किया, जिनकी माली हालत भले बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने उन्हें जिंदगी में बहुत सी चीजें सिखाईं। उन्होंने कहा कि वह हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी के साथ शतरंज खेला करते थे।
51 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें जो सबक सिखाए उनमें दूसरों के साथ मिलकर काम करने का हुनर और आगे बढऩे के लिए कभी कभी थोड़ा पीछे हटने की सीख शामिल है। उन्होंने कहा कि कोई छोटा नहीं है। आपको सबकी इज्जत करनी चाहिए।
शाहरूख ने कहा कि उन्होंने मुझे एक टाइपराइटर दिया। टाइपिंग में बहुत एकाग्रता की जरूरत होती है। जब मैंने टाइपिंग सीखी तो मुझे अहसास हुआ कि अभ्यास आपको उत्तम बनाता है। आप जीवन में जो भी करें, एकाग्रता से करें जैसे यह करने का आखिरी मौका है।
शाहरूख ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें हंसने हंसाने की आदत और बच्चों जैसी मासूमियत सदा बनाए रखने को कहा।
अभिनेता ने कहा कि अगर आप हास्यवृत्ति के साथ चीजों को देखते हैं तो जिंदगी बेहतर होगी।
यह मानते हुए कि रचनात्मक अभिव्यक्ति का कोई भी रूप भावनाओं को जाहिर करने का बेहतरीन जरिया है, शाहरूख ने कहा कि ऐसी आदत होने से अकेलेपन में भी सुकून रहता है। उन्होंने कहा कि मैं खराब शायर हूं। लेकिन फिर भी कुछ न कुछ लिखता रहता हूं… जब मैं लिखता हूं, मुझे शांति मिलती है।
इससे पहले चांसलर जफर सरेशवाला ने उर्दू भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान के लिए विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में खान और संजीव सराफ को ‘डॉक्टर ऑफ लेटर्स’ प्रदान किए।
मानद डॉक्टरेक्ट की उपाधि दिए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए खान ने कहा कि उन्हें यह सम्मान मिलने से उनके पिता खुश होंगेे क्योंकि वह स्वतंत्रता सेनानी थे और मौलाना आजाद तथा उच्च शिक्षा के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान था। शाहरूख ने कहा कि वह उन्हें दी गई जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश करेंगे।