बैतूल। कहते हैं कि पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। इसी पर अमल करते हुए खडला गांव की 75 साल की लाहोबाई ने कक्षा तीसरी की परीक्षा दी और ए ग्रेड से उत्तीर्ण हुई। इसी तरह लाखापुर के उदय ने 58 साल और खंडरा गांव की 51 वर्षीय उपसरपंच रूद्रिया बाई ने परीक्षा उत्तीर्ण की। अब वे अगली कक्षाओं की पढाई करने के लिए तैयार है।…
बैतूल जिले में ऎसे करीब 9 हजार 460 परीक्षार्थी है जिनकी उम्र भले ही अधिक थी लेकिन पढ़ने की उनमें ललक थी। इसके बूते वे कक्षा तीसरी की परीक्षा में बैठे इनमें से आधे से ज्यादा परीक्षार्थी उत्तीर्ण हो चुके हैं। जिले में वर्ष 2011 से साक्षरत अभियान चला जा रहा है। यहां के 481 केंद्रों पर पदस्थ 710 प्रेरक अधिक उम्र के लोगों को साक्षर बनाने में जुटे हुए हैं। इनकी परीक्षा ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित की जाती है।
इस बार 51 फीसदी रिजल्ट रहा। बैतूल के इन उम्र दराज लोगों के ए ग्रेड से कक्षा तीसरी व दूसरी पास करने पर अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर 35 बुजुर्गो का कलेक्टर आरपी मिश्र और जिला पंचायत की सीईओ अलका श्रीवास्तव ने सम्मान किया। इस दौरान उन्होंने प्रेरकों से कहा कि वे दिल से जुड़कर कार्य करें। इससे बुजुर्गो का हौसला बढेगा और वे पढ़ने लिखने के लिए आगे आएंगे।
बैतूल जिले में वर्ष 2001 में महिलाओं की साक्षरता दर 49 प्रतिशत थी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की साक्षरता 66.87 है। इनमें पुरूषों का प्रतिशत 77.31 और महिलाओं का 56.5 प्रतिशत रहा। इस लिहाज से 44 फीसदी महिलाएं निरक्षर हैं। 10 सालों में महिलाओं के प्रतिशत में 7 फीसदी का उछाल आया है लेकिन हालात ये है कि जिले की 44 फीसदी महिलाएं निरक्षर है। साक्षरता अभियान से प्रतिशत में उछाल की उम्मीद है।