जयपुर/सिरोही 20 मई। पूर्व विधायक संयम लोढा ने सिरोही कलेक्टर अभिमन्यु कुमार जैसे ईमानदार और नीति सम्मत काम करने वाले अधिकारी का 6 महीने में स्थानांतरण करने के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार के निर्णय को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सिविल सर्विस डे पर गुड गवर्नेन्स देने की बात करते हैं और उनकी पार्टी की राजस्थान की मुख्यंमत्री जनता के काम को ईमानदारी से करने वाले अधिकारियों का सिर्फ इसलिए ट्रांसफर कर रही हैं कि उनकी पार्टी के नेताओं के कथित अनैतिक और अवैधानिक कामों को करने से इनकार कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजे के राज में जितनी गारंटी थडियों पर बैठकर शराब पीने वाले अधिकारियों की 2 से तीन साल तक टिकने की है, उतनी ही गारंटी इस बात की है कि छुट्टियों में भी सुबह से रात तक दतरों में काम करने वाले अधिकारियों के 6 महीने भी किसी स्थान पर नही टिकने देंगी।
लोढा ने आरोप लगाया कि सिरोही के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र राठौड़ किस मुंह से सिरोही में बैठकें लेने और काम होने की बात करते हैं जब उनके मंत्रालय के अधीन आने वाली ग्राम पंचायतों में सचिव नहीं हैं। 6 महीने से ज्यादा समय से नरेगा के इंजीनियर नहीं हैं। लोढा ने कहा कि मुख्यमंत्री राजे और उनकी पार्टी के पदाधिकारियों ने प्रदेश में जो माहौल पैदा किया है उसने वरस्ट गवर्नेन्स देकर राजस्थान की जनता को प्रताड़ित और उत्पीड़ित किया है।
लोढा ने आरोप लगाया कि उनकी ही पार्टी के जनप्रतिनिधि के कथित अवैधानिक कार्य के खिलाफ कार्रवाई करने वाले माउंट आबू के उपखंड अधिकारी आई.ए.एस. गौरव अग्रवाल को उन्होंने ट्रांसफर करके ईमानदारी का सिला दिया। अब जिला कलेक्टर अभिमन्यु कुमार का 6 महीने में स्थानांतरण का मूल सूची से अलग आदेश निकालकर उन्होंने साबित कर दिया कि वे बिना किसी फीडबैक के अनैतिक और अवैधानिक काम करवाने में असमर्थ भाजपा पदाधिकारियों ओर जनप्रतिनिधियों के कहने पर अधिकारियों को स्थानांतरित कर रही हैं।
लोढा ने आरोप लगाया कि सरकार की विवेकशून्यता की स्थिति ये है कि वो ये निर्णय नही कर पा रही है कि कौन अधिकारी जनता को गुड गवर्नेंस दे सकता है और कौनसा अधिकारी उनकी पार्टी के सत्ता मद में चूर नेताओं की अवैधानिक काम करके जनता में सरकार की साख को बट्टा लगा सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार का मूल ध्येय जनता की बजाय अपनी पार्टी के चुनिंदा नेताओं के स्वार्थी हित साधने का है। उन्होंने कहा कि 3 साल में किसी जिले के 5 कलेक्टर बदलना किसी सूरत में सूराज का संकल्प नही दर्शाता।
लोढा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सुशासन प्रशासन के लिए 2 वर्ष पूर्व अकारण जिले के आला अफसरो का तबादला नही करने के निर्देशों की वसुंधरा सरकार खुले आम अवहेलना कर जिले के विकास को बाधित कर रही है। उन्होने कहा कि जिले में 3 वर्ष में 5 कलेक्टरो को बदल दिया है।
उन्होने कहा कि भाजपा की दबाव की राजनीति से अफसर परेशान हैं और वे कार्यों में रुचि नहीं ले पाते हंै। उन्हांेने कहा कि आईएएस अफसरांे का अल्पकाल में तबादले से उनका मनोबल टूट जाता है और वे जिले के हालातों को समझते हैं और विकास की योजना तैयार करते है उसके पहले ही उन्हे हटा दिया जाता है। यह पारदर्शी संवेदनशील एवं सुशासन की नीतियो के विपरित जनविरोधी निर्णय है। उनकी पार्टी इसकी कडे शब्दो में निंदा करती है।
पूर्व विधायक लोढा ने कहा कि सिरोही जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र राठौड मंत्रिमण्डल में मजबुत एवं मुख्यमंत्री के चहेते मंत्री के रूप में विख्यात है। लेकिन इनके प्रभारी मंत्री बनने के बाद जिले के हालात बद से बदत्तर हो गये है। उनकी पकड आम अधिकारी पर तो क्या इनके विभाग पर भी नही है।
वे जब राज्य के चिकित्सा मंत्री थे तब भी जिले की तो क्या जिला मुख्यालय के अस्पताल में भी इलाज की व्यवस्था नही कर पाये। राजस्थान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद भी उन्होने अपने अपने प्रभार के जिले में कोई ऐसी चिकित्सा सेवाएॅ नही दिलवाई। जिसके कारण यहां के मरीजो को बाहर जाने से रोक सके। एक तरह से वे फेलियर प्रभारी मंत्री साबित हो रहे है।
वर्तमान में वे विकास पंचायतीराज मंत्री होने के उपरान्त जिले में जिला परिषद, पंचायत समितियो एवं ग्राम पंचायतो में बडे स्तर पर स्टाफ के पद रिक्त हैं। उन्होने आरोप लगाया कि प्रभारी मंत्री रुचि लेकर जिले को नही सम्भाल रहे हैं और हर माह में जिले के दौरे पर आकर समीक्षा के नाम डाटने फटकारने का काम कर समय व्यर्थ कर रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पडता है।
उन्होंने कहा कि जिले के एक विधायक राज्य मंत्रीमण्डल में राज्यमंत्री होने के उपरान्त वे जिले के विकास एवं समस्याओं के समाधान में कोई प्रभावी भूमिका अदा नहीं कर रहे हैं। यही हाल जिले के अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की है जिनकी कोई सुनता ही नही है।
उन्होंने कहा कि जिले में पंचायत से लेकर सांसद तक भाजपा के होने के उपरान्त जनता को जो अतिरिक्त लाभ मिलना चाहिये वो नहीं मिल रहा है।