उज्जैन। सर्वाधिक मामलो में आमतौर पर ऎसा पाया जाता है कि रोमांटिक प्रेम सबसे ज्यादा उलझन एवं परेशानी पैदा करता है। पुरूष महिलाओं से अधिक रोमांटिक होते हैं।
बीते 20 साल के दौरान विश्व की विभिन्न साइकोलाजी जनरल में प्रकाशित प्रेम से संबंधित अनुसंधान के विश्लेषण करने के बाद इश्क के रास्ते पर है घना कोहरा.. शीर्षक से हाल ही में तैयार की गई अपनी शोध रिपोर्ट में मनोचिकित्सक डॉ. नरेश पुरोहित ने बुधवार को बताया कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूष पहले प्रेम के लिए आतुर होता है और वे अपनी प्रेयसी को पाने के लिए हमेशा बेचैन रहते हैं।
उन्होने अपनी रिपोर्ट में बताया कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूष प्रेम के अहसास को जल्दी समझ लेते हैं। उनमें महिलाओं की तुलना में प्रेम की भावना पहले पैदा होती है। इसका कारण शायद यह है कि पुरूषों को समाज का भय नहीं रहता है। इसलिए उनके प्रेम के रास्ते में कोई बंधन नहीं होता है।
डॉ.पुरोहित ने बताया कि लड़कियां बदनामी के डर से प्रेम करने के मामले में झिझकती है लेकिन वे अपनी भावनाओं के विषय में बात करने के लिए बहुत ज्यादा इच्छुक रहती है। और प्रेम प्राप्त करने के लिए काल्पनिक दुनिया में पुरूषों की अपेक्षा अधिक भ्रमण करती है।
उन्होंने प्रेम का प्रमुख कारण बताते हुए कहा कि व्यक्ति के अवचेतन मन में एक विशेष प्रकार की छवि तथा प्रेम भावना होती है। जब वह किसी दूसरे में उस छवि या भावना को देखता है तो उसके अंदर का प्रेम फूल की तरह खिलने लगता है। ऎसे मामलो में 85 प्रतिशत जोड़ों ने अपनी पुरानी हरकत छुपाने के लिए प्रेमी से झूठ बोला।
प्रेमी प्रेमिका के डेटिंग के बीच होने वाली बातचीत का एक तिहाई हिस्सा झूठ होता है। डॉ. पुरोहित ने अपनी शोध रिपोर्ट के अंत में बताया कि महिला एवं पुरूष में चाहे जिस कारण भी पे्रम हुआ हो प्रेेम में स्थायित्व तभी आता है जब प्रेम को परिपक्व होने दिया जाए। साथ ही दोनों आपसी प्रेम की भावना को प्रभावशाली ढंग से समझे और एक दूसरे की भावनाओं पर अधिक ध्यान रखें।