लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी के ठाकुरगंज इलाके में मंगलवार देर रात एटीएस के ऑपरेशन में मारे गए आतंकी सैफुल्लाह के परिजन उसकी सच्चाई जानने के बाद बेहद सकते में हैं।
परिवार को यकीन नहीं हो रहा कि नई उम्र के सैफुल्लाह के मन में देश के लिए इतनी नफरत कैसी पल रही थी। इसलिए जब उसके पिता सरताज को अपने बेटे के कृत्य की जानकारी हुई तो उन्होंने उनकी लाश लेने से ही इनकार कर दिया।
सरताज ने यहां कहा कि मैने अपनी मेहनत व ईमानदारी के पैसे से उसे खिलाया-पिलाया। आज 65 साल की उम्र जो लोग मुझे सलाम करते थे, वह आज उसकी वजह से मुझे शक की निगाह से देखते हैं। सब सपने चकनाचूर हो गए, सब इज्जत भी चकनाचूर हो गई।
उन्होंने कहा कि दुनिया की सारी बुराईयां इस्लाम से खत्म हो सकती है। अगर कोई भी मुसलमान सच्चे दिल से कुरआन को पढ़े और समझे तो उनके बेटे जैसी हरकत कोई नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि एक आदमी के जाने से अगर 125 करोड़ लोग महफूज है तो ये कबूल है। मैं अपने आतंकी बेटे के साथ नहीं, 125 करोड़ हिंदुस्तानियों के साथ हूं।
हम खुफियां एजेंसियों की मदद करेंगे। सरताज ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान एक बड़े पुलिस अधिकारी ने सैफुल्लाह के बड़े भाई को फोन किया। भाई ने 40 मिनट तक सैफुल्लाह को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना। वहीं वह कहते हैं कि सरकार से हमें कोई शिकायत नहीं है। सरकार जब कोई फैसला लेती है तो सोच-समझकर लेती है।
पहले भी जब देश में कोई आतंकवादी घटना होती थी तो बुरा लगता था। उन्होंने कहा कि हालांकि सैफुल्लाह पहले ऐसा नहीं था उसे बहकाया गया। जब वह घर से निकल कर बाहर गया, तब उसे बहकाया गया। वह देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल किया करता था।
सरताज ने कहा कि मेरा बेटा बहुत होनहार था। वह सुबह साढ़े तीन बजे उठ जाता था, फिर नमाज भी पढ़ता था। बेटे का दिमाग किसी ने बदल दिया था। मुझसे चूक हुई कि मेरा लड़का बिगड़ा गया। हमारी चूक का नतीजा हमें मिल गया।
तीन महीने पहले उसे डांट के घर से भगाया था। वह पासपोर्ट लेकर निकला था और बोल रहा था कि वीजा बन गया है, सऊदी जा रहा हूं। अपनी गलती पर पश्चापत करते सरताज लोगों से अपील करते हैं उनके बच्चे चाहे जितना बड़े हो जाएं वह अपने बच्चों पर ध्यान दें।
वहीं उनका कहना है कि सैफुल्लाह के दोनों बड़े भाई बहुत नेक हैं और जब उन्होंने मेरे द्वारा सैफुल्लाह की लाश लेने से इनकार करने की बात सुनी तो बोले कि पापा आपका जो फैसला है हमें मंजूर है। सरताज कहते हैं कि अगर मुझे पहले से जरा भी पता होता तो मैं खुद पुलिस जाकर सब बता देता।
उन्होंने कहा कि जब मुझे पता चला कि बेटा आतंकवादी है, तो आंसू नहीं गुस्सा आया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि सैफुल्लाह अपनी मां से बहुत जुड़ा हुआ था। मां होती तो शायद उसे रोक लेती। हालांकि अल्लाह का शुक्र है कि ये वक्त देखने के लिए सैफ की मां जिंदा नहीं है।
उन्होंने कहा कि जो देश का नहीं, वो मेरा नहीं। हमारे बाप दादा ने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया है। जिसने भी देश के लिए खून को बहाया वह सब मेरे परिवार के सदस्य हैं। अगर बगदादी जैसे लोग इस देश को तोड़ना चाहेंगे तो एक सरताज जैसा बाप सामने खड़ा हो जाएगा।
खुद अपनी पहचान बनाना चाहते थे
वहीं इस मामले में बुधवार को एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर दलजीत चौधरी ने कहा है कि मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्लाह और गिरफ्तार अन्य संदिग्ध आतंकियों के तार सीधे तौर पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े होने के सबूत नहीं मिले हैं। ये सभी इंटरनेट, सोशल मीडिया और वेबसाइट के जरिए आईएस से प्रभावित थे और ‘खुरासान ग्रुप’ बनाकर खुद अपनी पहचान बनाना चाहते थे।
मुठभेड़ खत्म होने के बाद बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनकाउंटर और गिरफ्तार किए गए संदिग्ध आतंकियों से जुड़ी पूरी जानकारी साझा करते हुए दलजीत चौधरी ने बताया कि चार लोग लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित एक घर में किराये पर रह रहे थे। ये लोग आपस में मिलते थे और हमले की योजना बनाते थे। वारदात को अंजाम देने के लिए इन लोगों ने रेकी भी की थी।