नई दिल्ली। मन की बात के पांचवें संस्करण में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो के जरिये बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों से बात की। उन्होंने विद्यार्थियों से बातचीत में कहा, मैं आपको उपदेश देने नहीं आया हूं । आज के विषय पर मां बाप चाहते हैं कि मैं वो बातें करूं जो वो चाहते हैं और इसी तरह शिक्षक और छात्र भी चाहते हैं ।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मैं आपको यह बताने नहीं आया हूं कि कैसे ज्यादा अंक आयेंगे । उन्होंने कहा ‘हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है । स्वंय के विकास के लिए प्रतिस्पर्धा इतनी प्रेरणा नहीं देती ।
अगर प्रतिस्पर्धा करनी है तो खूद से कीजिए. कोशिश कीजिए की बीते हुए कल से आज अच्छा हो। मोदी ने कहा इच्छाएं स्थिर होनी चाहिए. परीक्षा क्षमता प्रदर्शन के लिए नहीं, खुद की क्षमता पहचाने के लिए है जब आप यह मंत्र पकड़ लेंगे, आपके भीतर का विश्वास बढ़ता चला जाएगा।
मोदी ने एथलिट सर्गेई बूबका का उदाहण देते हुए कहा, हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलिट सर्गेई बूबका का स्मरण करते हैं, जिन्होंने 35 बार खुद का ही रिकॉर्ड तोडा था। इससे पता चलता है प्रतिस्पर्दा हमेंशा अपनेआप से होती है। लोगों को लगता है कि परीक्षा अच्छी नहीं गयी तो पूरी दुनिया डूब जाएगी, दुनिया ऐसी नहीं है और इसीलिए कभी इतना तनाव मत लिजिए ।
प्रधानमंत्री ने कहा, “इच्छा प्लस स्थिरता बराबर संकल्प, संकल्प प्लस पुरुषार्थ बराबर सिद्धि” मोदी ने यहां उन विद्यार्थियों की चर्चा की जो परीक्षा के बोझ में दब जाते हैं। अगर हमारे जीवन में पहली बार परीक्षा दे रहे हो थोड़ा चिड़चिड़ापन आ जाता है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह दिया कि अगर आपकी कोई बहन है तो उसे देखिये मां को घर के काम में मदद भी करती है और परीक्षा में अच्छे नंबर भी लाती है। कारण बाहरी नहीं होता भीतरी होता है। आत्मविश्वास बेहद जरूरी है। अंधविश्वास में हम बाहरी कारण ढुढ़ते हैं।
विदित हो कि पीएम मोदी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विद्यार्थियों के साथ साथ माता- पिता और शिक्षकों से भी सुझाव मांगे थे । प्रधानमंत्री गत वर्ष अक्टूबर से ही हर महीने रेडियो के जरिये देशवासियों से जु़ड़ते हैं। अमूमन इस कार्यक्रम का प्रसारण रविवार सुबह ग्यारह बजे होता है, लेकिन 22 फरवरी को विश्वकप में भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच होने के कारण इसका समय बदलकर रात आठ बजे किया गया ।