जयपुर। दुनिया की सबसे बुजुर्ग बाघिन ने गुरूवार को रणथंभौर अभयारण्य में दम तोड़ दिया। पिछले कुछ समय से बीमार इस बाघिन ने कई दिनों से शिकार करना छोड़ रखा था और गत पांच दिनों से तो अन्न-जल पूरी तरह त्याग कर रखा था।
इस बाघिन को अभयारण्य के कर्मचारी महारानी कह कर बुलाते थे और वह इस नाम से भी प्रसिद्ध हो गई थी। उसे लेडी आफ लेक के नाम से भी जाना जाता था । वह बीस वर्ष की थी और इस दौरान वह काफी चर्चा में रही। वन विभाग के चिकित्सक लगातार उसके गिरते स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए थे लेकिन वह उसे बचा नहीं सके।
विभागीय कर्मचारियों का कहना था कि कुछ महिने पहले शिकार करते हुए उसके पैर में चोट लग गई थी और तभी से वह चलने-फिरने में खुद को असहाय महसूस कर रही थी। घाव ना भरने के कारण उसके पैर में चोट वाले स्थान पर कीड़े पड़ गए थे।
पिछले पांच दिनों से उसने अभयारण्य के पास एक सुनी जगह पर पनाह ले रखी थी और खाना-पीना छोड़ दिया था। पशु विज्ञानियों का कहना था कि बाघ प्रजाति अपनी मौत को करीब देखकर इसी तरह खुद को सुनसान जगह छिपा लेते हैं और इस बाधिन ने भी अंतिम दिनों में यही रवैया अपनाया लिया था।
अभयारण्य के चिकित्सक उसे मीट के साथ एंटी बायोटिक दे रहे थे लेकिन उसने मीट खाना भी छोड़ दिया था। 1997 में जन्मी मछली को एक आंख से दी दिखाई देता था क्योंकि कुछ वर्ष पहले वह एक शिकार के दौरान अपनी एक आंख की रोशनी भो बैठी थी।