भोपाल। मध्य प्रदेश एटीएस ने आईएसआई के 11 एजेंटों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई हैं। अलग अलग जिलों से गिरफ्तार आरोपियों के पास से लेपटॉप, मोबाइल, सिम जब्त किए गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में एक जबलपुर पार्षद का रिश्तेदार भी शामिल हैं।
एटीएस द्वारा देशद्रोह और इंडियन टेलीग्राफ एक्ट में आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है। गुरूवार को मप्र एटीएस ने ग्वालियर, सतना, जबलपुर और भोपाल से आईएसआई के लिए सूचना जुटा रहे 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया।
एटीएस ने ग्वालियर से 5, जबलपुर से 2, सतना से 1 और भोपाल से 3 लोगों को गिरफ्तार किया हैं। एटीएस का आरोप हैं कि सभी आरोपी भारत की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजने का काम करते है।
एटीएस के अनुसार जितेंद्र ठाकुर और कुश पंडित नाम के दो व्यक्ति कॉल सेंटर का संचालन करते थे। दोनों मिलकर नौकरी और लॉटरी की आड़ में सूचनाओं का लेन-देन करते थे। जितेंद्र ठाकुर ग्वालियर के एक वार्ड की पार्षद वंदना सतीश यादव का रिश्तेदार बताया जा रहा है।
वही, कुश पंडित और रितेश खुल्लर सहित अन्य संदिग्धों के बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है। पत्रकारों को जानकारी देते हुए एटीएस चीफ संजीव समी ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा आरोपियों से जासूसी करवाई जा रही थी।
सेना से जुड़ी जानकारी हासिल कर पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को देते थे। इसके लिए आरोपी सेना के लोगों से अफसर बन कर बात करते थे। एटीएस की टीम ने आरोपियों के पास से आधुनिक एक्सचेंज मशीने बरामद की हैं। जिसका उपयोग ये लोग गुप्त जानकारी हासिल करने के लिए कर रहे थे।
ये गिरोह सिम बॉक्स, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, डाटा कार्ड और लेपटॉप के जरिए पेरेलर टेलीफोन एक्सचेंज चलाता था। पाकिस्तान के आईएसआई एजेंटों के कॉल्स को रूट कर स्थानीय नंबरों के जरिए देश की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में गिरोह मदद करता था।
एटीएस ने इनके पास से मोबाइल फोन, कई कंपनियों की सिम कार्ड, सिम बाक्स, लेपटॉप, चाईनीज बॉक्स आदि बरामद किया है।
एटीएस चीफ संजीव समी ने आशंका जताई हैं कि आरोपियों को टेलीकॉम सुविधा मुहैया कराने में टेलीफोन इंडस्ट्री के लोग भी शामिल हो सकते हैं। एटीएस ने अपनी जांच में इस पहलू को भी शामिल किया हैं। आरोपियों को पैसा पाक से अकाउंट में ट्रांसफर होता था।