भोपाल। जनता की जेब के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार की नजर भगवान की झोली पर भी हैं। प्रदेश के सभी बड़े मंदिरों के खजाने और आने वाले दान का लेखा जोखा अब प्रदेश सरकार के पास होगा।
इसके लिए मंदिरों के अधिनियमों को बदलने की तैयारी सरकार ने कर ली हैं। साथ ही जिन मंदिरों के अधिनियम नहीं बने हैं उनमें भी इसी फार्मूले को अपनाया जाएगा।
भारतीय संस्कृति में आस्था हमेशा से ही सभी चीजों पर भारी पड़ी हैं। देश के कई बड़े मंदिरों में भक्त सालाना करोड़ों का दान चढ़ाते हैं। इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट के पास उनका अपना खजाना भी होता हैं।
मध्य प्रदेश के भी कई ऐसे बड़े मंदिर हैं जिनकी सालाना कमाई करोड़ो रूपए तक की हैं। इनमें उज्जैन महाकाल मंदिर और इंदौर का खजराना गणेश मंदिर प्रमुख हैं। प्रदेश में वर्तमान नियम अनुसार प्रमुख मंदिरों के ट्रस्ट का अध्यक्ष कलेक्टर होता हैं।
मंदिरों के खजाने से लेकर कमाई तक का हिसाब कलेक्टर के पास ही होता हैं। लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार इन नियमों में बदलाव करने जा रही हैं। इसके तहत मंदिरों का अधिनियम बदलकर शासन को सभी अधिकार दिए जाएंगे।
इससे कलेक्टर की बजाय शासन यानी विभागीय प्रमुख सचिव या मुख्य सचिव को निर्णयों के अधिकार मिल जाएंगे। नए नियम के अनुसार कलेक्टर के अधिकार तो समान रहेंगे पर मंदिर का पूरा हिसाब सरकार को भेजना होगा।
इंदौर में स्थित खजराना गणेश मंदिर की सालाना आय ढेढ़ करोड़ रूपए से ज्यादा हैं। यह देश के प्रमुख सबसे अमीर मंदिरों में भी शामिल हैं। इसके अलावा उज्जैन महाकाल मंदिर की सालाना कमाई सवा करोड़ रूपए से ज्यादा हैं।
इन मंदिरों की संपत्ति और आमदनी पर निगरानी के तहत ही शासन नए नियमों को ला रहा हैं। इससे इन मंदिरों के लिए भी संपत्ति व आमदनी का पूरा हिसाब सरकार को भेजना अनिवार्य हो जाएगा। शासन सीधे मंदिर के निर्णयों में भी हस्तक्षेप कर सकेगा। अभी तक ऐसा नहीं हैं।