भोपाल। राजधानी में राज्य मंत्रालय के ठीक सामने स्थित प्रदेश के सबसे ऊंचे राष्ट्रध्वज की चौबीस घंटे दुर्गति होती रही और पूरी सरकार आंखें मूंदे बैैठी है।
बीती 27 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गरिमापूर्ण समारोह में लोकार्पित किया गया यह ध्वज सिर्फ सात दिन में फटने लगा। ध्वज स्थल को तैयार करने में सरकार ने लगभग 70 लाख रूपए खर्च का किया था, सूत्र बताते हैं कि सिर्फ झंडे के लिए ही सरकार ने एक लाख रूपए खर्च किए हैं, लेकिन अब कोई इसकी जवाबदारी लेने को तैयार नही हैं। उधडे व फटने लगे इस ध्वज को दुरूस्त करने के लिए इसे उतरवाने का निर्णय भी देर रात इसलिए टालना पड़ा क्योंकि दूसरा ध्वज उपलब्ध ही नही था।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो बुधवार को ही तिरंगे ध्वज के ऊपरी हिस्से में गड़बड़ी नजर आने लगी थी, इसकी सिलाई फट रही थी,लेकिन सरकार ने सुध नहीं ली। गुरूवार को जब इसे लेकर शोर उठा तो सरकारी अफसरों को सक्रिय होना पड़ा। लेकिन असमंजस बरकरार रहा। बमुश्किल शाम साढ़े पांच बजे के आसपास इसे उतारने का समय तय हुआ। लेकिन यहां जुटी भीड़ और मीडिया के चलते प्रक्रिया थमी रही।
दूसरा राष्ट्रध्वज उपलब्ध नही
जानकार बताते हैं कि झंडा उतारने को लेकर सरकार की मूल दुविधा यह रही कि दूसरा राष्ट्रध्वज उपलब्ध नहीं था। दरअसल सरकार ने इंदौर की एक कंपनी से दो झंडे तैयार कराए हैं, इनमें से पहला झंडा तो रिहर्सल के दौरान ही फट गया था, दूसरे की हालत सात दिन में खराब हो गई। मप्र सरकार के अफसरों की परेशानी यह भी रही कि उक्त कंपनी की तरफ से दूसरा झंडा उपलब्ध कराने में देरी होती रही, इसीलिए प्रक्रिया थमी रही। अब शुक्रवार को झंडा उतारने और नया झंडा फहराने का फेैसला किया गया है।
एसएएफ के जवान व बैंड पूरे सम्मान के साथ झंडा उतारने के लिए पहुंचे
झंडे को उतारने की खबर पुलिस मुख्यालय को भी दी गई। इसके चलते एसएएफ के वरिष्ठ अफसरों को वहां मौजूद रहने के लिए कहा गया। एसएएफ के जवान व बैंड पूरे सम्मान के साथ झंडा उतारने के लिए भेजे गए। जानकारी अनुसार अब जल्द ही मंत्रालय के सामने जिस उद्यान में यह ध्वजस्थल बनाया गया है, वहां पुलिस व एसएएफ के जवानों की ड्यूटी भी लगाई जाएगी। यहां एसएएफ जवानों के लिए एक गार्ड रूम भी बनाने की तैयारी की गई है।
हम मजबूर हैं
राजधानी परियोजना प्रशासन के कार्यपालन यंत्री सीएस जायसवाल ने अपनी मजबूरी जताते हुए कहा कि फिलहाल हम कुछ नहीं कर सकते। हमें इंदौर से बजाज कंपनी के वेंडर का इंतजार है,जब वह झंडा लेकर आएगा,तभी मौजूदा झंडे को बदला जा सकेगा। हमने कंपनी को बुधवार को ही सूचित कर दिया था।
अफसरों की लापरवाही से राष्ट्रध्वज का अपमान हो रहा है
वही इस पूरे मामले पर सेवानिवृत्त मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने इसे अफसरों की लापरवाही बताते हुए नाराजगी जताई है। उन्होने बताया कि झंडा संहिता कहती है कि कटा-फटा या गंदा राष्ट्रध्वज नहीं लहराया जाना चाहिए। यह अफसरों की लापरवाही है, इससे राष्ट्रध्वज का अपमान हो रहा है। इसे तत्काल बदलना चाहिए।