दमोह/भोपाल। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में भी उड़ीसा के कालाहांडी और बालासोर जैसी घटनाओं की तरह संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटना प्रकाश में आई है।
पति, सास और नवजात बच्ची के साथ इलाज के लिए जा रही एक महिला की बस में ही मौत हो गई। इंसानियत को दरकिनार करते हुए बस के स्टॉफ ने महिला के शव के साथ ही पति, बूढ़ी सास और दुधमुंही बच्ची को भी बीच रास्ते में उतार दिया और तेज रफ्तार से बस भगा ले गए।
लाचार पति महिला के शव के पास खड़े-खड़े घंटों बिलखता रहा, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। गुरुवार को हुई इस घटना को लेकर जिले के वकील लंबी लड़ाई के मूड में हैं और उन्होंने बस का परमिट रद्द करने की मांग की है।
बकस्वाहा के घोघरी गांव की निवासी एक महिला मल्लीबाई ने पांच दिन पहले ही एक बच्ची को जन्म दिया था। तबीयत खराब होने पर वह गुरुवार को पति रामसिंह लोधी और सास के साथ इलाज के लिए दमोह जा रही थी।
लेकिन रास्ते में अचानक मल्लीबाई की मौत हो जाने पर बस के स्टॉफ ने चैनपुरा परासई गांव के पास महिला के शव के साथ ही उसके पति, बच्ची और सास को बस उतार दिया। इसी बीच जब एडवोकेट मृत्युंजय हजारी व राजेश पटेल बाइक से वहां से गुजरे तो रामसिंह उन्हें गोद में बच्ची को लिए रोता हुआ दिखा।
वकील हजारी के पूछने पर उसने सारी घटना बताई। इस पर वकील हजारी और उनके साथी ने डायल 100 को मदद के लिए सूचना दी। इस पर पुलिस वहां पहुंची जरूर, लेकिन मदद करने की बजाय रामसिंह से उसका नाम-पता पूछकर वापस चली गई।
इस घटना को लेकर लामबंद हुए वकीलों ने आरटीओ को उस यात्री बस का परमिट निरस्त किए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने मानव अधिकार आयोग से भी इस घटना का संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
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