भोपाल/गुना। मकान किराये पर देना अब आसान हो गया है। इसको लेकर सरकार ने नया ड्रॉफ्ट तैयार किया। अब सादे कागज पर ही 2 गवाहों के बीच एग्रीमेंट किया जा सकेगा। ना स्टाम्प की जरूरत और ना ही उसे रजिस्टर्ड कराने की।
सादे कागज पर एग्रीमेंट को तोडऩे पर 6 माह का किराया और सजा का भी प्रावधान है। एग्रीमेंट के बाद किरायेदारों द्वारा संपत्ति को खुर्दबुर्द करने, बैंकों में मार्टगेज रखने या फिर सौदेबाजी कर देने की मिल रही शिकायतों के चलते हाल ही में राज्य सरकार ने नया ड्रॉफ्ट बनाया है। इसका प्रजेंटेशन प्रमुख राजस्व आयुक्त केके खरे ने राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता व प्रमुख सचिव के.के. सिंह के सामने किया।
शीतकालीन सत्र में इसे बिल के रूप में पेश करने की तैयारी है। बिल को मप्र मकान मालिक एवं किरायेदार के हितों के संरक्षण को गारंटी का प्रदाय बिल 2016 कहा जाएगा। इसके दायरे में डुप्लेक्स, फ्लैट, रो हाउस के साथ दुकान, गोदाम, डायवर्टेड लैंड, कोई भी आवासीय या व्यावहारिक संरचना, उद्यान, मैरिज गार्डन, आउट हाउस व भवन में लगी समस्त फिटिंग और फर्नीचर को भी शामिल कर दिया है।
100 से 500 या अधिक रुपए के स्टाम्प में होता है एग्रीमेंट
वर्तमान में स्टाम्प पेपर पर किरायानामा बनता है। यह कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से 100 से लेकर 500 या फिर इससे अधिक राशि के स्टॉम्प पर 11 माह के लिए होता है। संपत्ति संबंधित मामलों में किरायेदारी स्टॉम्प के दुरुपयोग की शिकायतें मिलने पर कानून बनाया जा रहा है।
अमल में लगेंगे चार माह
नए कानून का ड्रॉफ्ट तैयार हो गया है। इससे मुख्य सचिव और सीनियर सेक्रेटरी की कमेटी में भेजा जाएगा। फिर कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद शीतकालीन सत्र में बिल के रूप में पेश होगा। इसके बाद ही इसे लागू किया जाएगा।
मकान मालिक पर असर
यदि मालिक किराये पर दी संपत्ति बेच देता है तो खरीदार को भी एग्रीमेंट का पालन करना होगा। किरायेदार की मृत्यु होने पर उत्तराधिकारी को अधिकार होगा कि वह एग्रीमेंट छोड़ दे लेकिन मकान मालिक को ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा। उसे एग्रीमेंट की मियाद तक रुकना होगा। एग्रीमेंट के बाद मकान मालिक उसे परेशान नहीं कर सकता।
किरायेदार पर असर
एग्रीमेंट के बाद मकान के स्वरूप में किरायेदार कोई बदलाव नहीं कर सकेगा। एग्रीमेंट पूरा होते ही किरायेदार अपने आप बेदखल माना जाएगा। यदि मकान मालिक या किरायेदार के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति मकान को नुकसान पहुंचाता है तो किरायेदार उसके खिलाफ कोर्ट जा सकता है। एग्रीमेंट में तय होगा की किरायेदार मकान का कितना उपयोग कर सकता है।