चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में चल रही शरिया कौंसिलों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इसपर अमल सुनिश्चित करे और एक माह में इस संदर्भ में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
अदालत ने यह फैसला एक अनिवासी भारतीय द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिया। अब्दुल रहमान की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि मस्जिदों या अन्य किसी भी जगह से शरिया कौंसिलें न चलें।
कोर्ट ने पुलिस को कहा कि अगर उनकी जानकारी में कहीं इस तरह की गतिविधि चलने की बात आती है तो तत्काल कार्रवाई करें। इसके साथ ही खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थलों या फिर पूजा-उपासना की किसी जगह का इस्तेमाल केवल धार्मिक गतिविधियों के लिए हो सकता है।
अदालत ने सरकार को इस आदेश पर अमल करने का निर्देश देते हुए एक माह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। अब्दुल रहमान ने अपनी याचिका में कहा था कि चेन्नै की एक मस्जिद से शरिया कौंसिल चल रही है।
याचिकाकर्ता के वकील ए. सिराजुद्दीन ने अदालत को बताया कि पूरे राज्य में मक्का मस्जिद शरिया कौंसिल की तर्ज पर संस्थाएं चल रही हैं। खास तौर पर कम पढ़े-लिखे मुस्लिम इससे गुमराह हो रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इन कौंसिलों के फैसले शरिया कानून पर आधारित हैं और ये मुसलमानों के लिए बाध्यकारी हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन शरिया कौंसिलों में फैसला देने वाले जजों की तरह की लिबास में होते हैं और आम मुसलमान इनके फैसले को चुपचाप सहने को मजबूर होते हैं।